Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

भगवान श्रीकृष्ण की बहन के रूप में पूजी जाती हैं यहां की देवी, जानिए इस अनोखे मंदिर का इतिहास और मान्यता

By
On:

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में विंध्य पर्वत पर मां अष्टभुजा का मंदिर स्थित है. इस मंदिर का जुड़ाव भगवान श्रीकृष्ण है. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के वक्त यशोदा के यहां मां अष्टभुजा ने जन्म लिया था. जब कंश ने मां को पटककर मारने की कोशिश की तो माँ उनके हाथों से छूटकर आकाश मार्ग से विंध्य पर्वत पर आ गई. मां को महासरस्वती का रूप माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि यहां दर्शन से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है और तैयारी करने वाले छात्रों की मनोरथ सिद्ध होती है.

 

पं. अनुपम महराज ने लोकल 18 से बताया कि मां अष्टभुजा का विग्रह बेहद ही दिव्य व अलौकिक है. मां महासरस्वती की अवतार है. विंध्य पर्वत के सिर पर मां विराजमान है. मां अष्टभुजा आठ भुजाओं वाली दुर्गा का स्वरूप है. मां का जो महात्मय है, उसमें सरस्वती का अवतार माना जाता है. मां अष्टभुजा का जुड़ाव भगवान कृष्ण से है. जब वासुदेव बड़े परेशान हुए कि मेरे सात संतान समाप्त हो गई और मेरी आठवीं संतान जो कि कंश का विनाश का कारक होगा, वह आने वाला है. उसकी रक्षा कैसे होगी. इन्हीं को लेकर वासुदेव ने अपने गुरु गर्गाचार्य का स्मरण किया, जिसके बाद गुरु गर्गाचार्य मिलने के लिए जेल में आए. उन्होंने कहा कि मेरी आठवीं संतान कैसे जीवित रहेगा. इसको लेकर उपाय बताए.

भगवती का किया अनुष्ठान
पं. अनुपम महराज ने बताया कि गर्गाचार्य ने वासुदेव से कहा कि मुझे विंध्याचल जाना होगा और भगवती की उपासना करनी होगी, तब आठवीं संतान जीवित रहेगा. गर्गाचार्य ने वासुदेव से संकल्प लेकर विंध्याचल आएं और भगवती का पूजन किया,  जिसके बाद मां प्रकट हुई और कहा कि मैं शाहचारणिनी के रुप में आकर कृष्ण की रक्षा करूंगी. कहा कि मैं नंद के घर यशोदा के यहां जन्म लुंगी. यह आशीर्वाद गर्गाचार्य ने वासुदेव को बताया और सारे प्रदान बता दिए.

 

कंश करना चाह रहा था वध
बताया कि जेल में जब कृष्ण का जन्म हुआ तो वासुदेव अपने पुत्र को ले जाकर अपने मित्र नंद के यहां रख दिया और कन्या को लेकर चले आए. जब कंश को पता चला कि वासुदेव को आठवीं संतान पुत्री हुई है तो कंश कारागार में पहुंचे और पुत्री के बाएं पैर को पकड़कर पटकना चाहा तो मां आकाश मार्ग में उड़ गई. उन्होंने कहा कि हे पापी कंश आज के बाद तेरे विनाश के दिन शुरू हो गए हैं. पाप का घड़ा भर गया है और मारने के लिए कृष्ण जन्म ले चुके हैं.

पूरी होती है हर मनोकामना
अनुपम महराज ने बताया कि मां आकाश मार्ग से ज्ञान की बात कहकर उड़कर विंध्य में आकर निवास करने लगी. आज भी मां के बाएं पैर में कंश के उंगलियों के निशान है. ऐसा माना जाता है कि मां का पूजन करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है. हर काम सिद्ध होते हैं. जो भी बच्चे तैयारी कर रहे हैं और सफल नहीं हो पा रहे हैं तो मां का पूजन अर्चन करें. उन्हें निश्चित ही सफलता मिलेगी. यहां पर जो बच्चे बोल नहीं सकते हैं. वह भी पूजन अर्चन करें. ऐसा करने पर उनकी भी हर मनोकामना पूर्ण होती है और मनोरथ सिद्ध होता है.

For Feedback - feedback@example.com
Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News