गुपचुप संपन्न हुई निविदा सूचना, सरकारी स्कूलों की नीलामी प्रक्रिया का मामला
14 हजार 550 रुपये में नीलाम कर दिए तीन स्कूलों की संपत्ति, 7 जुलाई से दे दिया तोडऩे का आदेश
- सांध्य दैनिक खबरवाणी, घोड़ाडोंगरी :- सरकारी संपत्तियों की औने-पौने दाम में नीलामी और भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला घोड़ाडोंगरी नगर परिषद क्षेत्र से सामने आया है। यहां 65 वर्ष पुराना प्राथमिक शाला का भवन महज 2500 में नीलाम कर दिया गया। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि इस घोटाले पर उठी गंभीर आपत्तियों और लिखित शिकायतों को पूरी तरह नजऱ अंदाज करते हुए लोक निर्माण विभाग ने 7 जुलाई को भवन को तोडऩे का आदेश जारी कर दिया।
जानकारी के मुताबिक, लोक निर्माण विभाग बैतूल द्वारा पुराने जीर्ण-शीर्ण भवनों की नीलामी 4 अप्रैल 2025 को की गई थी। इनमें प्राथमिक शाला भवन समेत कई भवनों की बोली 2500, 6000 और 6050 रुपये तक में लगाई गई। आरोप है कि नीलामी की प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय तरीके से चलाई गई और इसकी जानकारी न तो स्थानीय जनता को दी गई और न ही स्थानीय समाचार पत्रों में इसकी कोईसूचना प्रकाशित की गई। स्थानीय समाजसेवीयो द्वारा इस नीलामी को खुला भ्रष्टाचार बताते हुए लोक निर्माण विभाग के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में स्पष्ट कहा गया कि लाखों रुपये मूल्य की सरकारी संपत्ति को मात्र कुछ हजार रुपये में बेचकर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया है।
इसके बावजूद न तो नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगी और न ही जांच शुरू हुई। उल्टा, लोक निर्माण विभाग ने 7 जुलाई को आदेश जारी कर भवन को तोडऩे की प्रक्रिया शुरू कर दी। इससे साफ है कि शिकायतों और आपत्तियों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि यह सीधा-सीधा सरकारी संपत्ति को औने-पौने दाम बेचने की घटना है, ताकि बाद में घोटाले की जांच का कोई आधार ही न बचे। लोगों ने इस मामले में नीलामी निरस्त करने, जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने और पूरी प्रक्रिया की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।
ज्ञात हो कि इन पुराने स्कूलों में उपयोग किया गया लोहा और सागौन की लकड़ी जिसकी कीमत लाखों रुपए है। उसेमात्र कुछ हजार रुपयों में ऑफसेटप्राइज तय कर गुपचुप नीलामी प्रक्रिया कर बेच दिया गया। तीनों स्कूल एक ही निविदाकर्ता द्वारा बोली लगाकर प्राप्त कर लिए गए। स्थानीय लोगों द्वारा लगातार इस संदर्भ में शिकायत दर्ज की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि लोक निर्माण विभाग की मिलीभगत से इसी तरह शासकीय संपत्ति को औने पौने दामों पर पूर्व में भी बेचा जाता रहा है।