भोपाल -15 वर्ष बाद बमुश्किल तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी उस पर भी कांग्रेश के 25 विधायकों के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने से जहां एक तरफ सरकार गिर गई तो दूसरी तरफ पार्टी में धीरे-धीरे विधायकों के भाजपा में जाने का सिलसिला शुरू हो गया ।इसलिए इस बार कांग्रेस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है और चुनाव के 16 महीने पहले ही सर्वे और अन्य माध्यमों से सिर्फ जीतने वाले और निष्ठावान उम्मीदवारों की तलाश में लग गई है
कांग्रेस के सुस्त विधायकों के लिए मिशन 2023 की राह मुश्किल हो सकती है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने सर्वे में कमजोर प्रदर्शन वाले ऐसे 38 विधायकों को चेतावनी जारी कर दी है। इन विधायकों को कहा गया है कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाएं, लोगों से मेल-मिलाप पर ध्यान दें और इंटरनेट मीडिया पर भी मौजूदगी मजबूत करें।
दरअसल, कमल नाथ हर तीन महीने पर सर्वे करा रहे हैं, जिसमें पार्टी विधायकों की लोकप्रियता, प्रदर्शन और सक्रियता पर अंक देकर उनके लिए संभावनाओं को टटोला जा रहा है। हालिया सर्वे में कांग्रेस के कुल 96 विधायकों में से 38 की सर्वे रिपोर्ट बेहद कमजोर आई है।
सूत्र बताते हैं कि क्षेत्र में इन विधायकों की लोकप्रियता लगातार कम हो रही है। ऐसे में 2023 के विस चुनाव में फिर से मौका देने का जोखिम नहीं उठाया जा सकता। अभी चुनाव में करीब डेढ़ वर्ष हैं, तब तक इन विधायकों को स्थिति सुधारते हुए अपनी सीट बनाए रखने की पुख्ता तैयारी का मौका दिया जा रहा है।
2018 में भाजपा से कम मिले थे कांग्रेस को वोट
वर्ष 2018 के विस चुनाव के बाद कांग्रेस ने सरकार तो बनाई, लेकिन उसे वोट भाजपा से कम मिले थे। कांग्रेस ने 41.5 और भाजपा ने 41.6 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में 29 में से महज एक सीट छिंदवाड़ा ही कांग्रेस जीत सकी। वोट शेयर 34.8 प्रतिशत रह गया, जबकि 28 सीटें जीतने वाली भाजपा को 58.5 प्रतिशत वोट शेयर मिले। वर्ष 2020 में विस की 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस का ग्राफ कुछ सुधरा, लेकिन सीटें कम हो गईं।
कांग्रेस ने 9 सीटें जीतीं और वोट शेयर 40.5 प्रतिशत था, जबकि भाजपा ने 19 सीटें जीतीं और वोट शेयर 49.5 प्रतिशत था। इन आंकड़ों से पार्टी को भनक लग चुकी है कि बतौर विपक्ष कांग्रेस की लोकप्रियता बढ़ाना चुनौती है, इसमें विधायकों की छवि सबसे अहम है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ पहले भी सार्वजनिक रूप से बता चुके हैं कि वह निजी कंपनियों की मदद से सर्वे कराते हैं और इसे भी फैसले लेने के आधार में शामिल करते हैं।
कैसे हो रहा सर्वे
कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में सर्वे एजेंसी आम लोगों से जानकारी जुटाते हैं कि विधायक ने जनता को कितना समय दिया। गांवों के दौरे विधायक जाते हैं या नहीं? जाते भी हैं, तो क्या दौरा औपचारिक ही होता है या लोगों से मेल-मिलाप होता है या नहीं? सर्वे में देखा जाता है कि क्षेत्र में नागरिकों के सुख-दुख में विधायक शामिल होते हैं या नहीं? पार्टी में भी विधायक की गतिविधियों की जानकारी ली जाती है। देखा जाता है कि विधायक बूथ कमेटी स्तर पर कार्यकर्ता से संपर्क में हैं या नहीं? इसके अलावा इंटरनेट मीडिया पर भी विधायक की सक्रियता सर्वे में दर्ज की जाती है।
(साभार)
Explore the ranked best online casinos of 2025. Compare bonuses, game selections, and trustworthiness of top platforms for secure and rewarding gameplaycasino.