Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आज: आवारा कुत्तों पर झटका या राहत?

By
On:

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत आज शुक्रवार को आवारा कुत्तों को लेकर को लेकर बड़ा फैसला सुना सकती है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली से सटे दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से हटाकर आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से बने शेल्टर होम में रखने का निर्देश दिया था. इस केस की सुनवाई तीन जजों की स्पेशल बेंच कर रही है, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया शामिल हैं.

इससे पहले कोर्ट ने 11 अगस्त को एक आदेश पारित किया था, जिसके खिलाफ कई याचिकाएं भी दायर की गई थीं. केस की सुनवाई करते हुए इस स्पेशल बेंच ने 14 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई करते हुए बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या को लेकर स्थानीय निकायों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया था. कोर्ट ने कहा कि इन इलाकों में आवारा कुत्तों की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. दिल्ली नगर निगम की लापरवाही के चलते कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण नियम ठीक ढंग से लागू नहीं हो पा रहे हैं.

वहीं, सॉलिसिटर तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि पिछले साल 2024 में देशभर से कुल 31 लाख से ज्यादा कुत्तों के काटने के मामले दर्ज हुए थे. उन्होंने आगे कहा कि इसका मतलब साफ है कि हर दिन करूब 10,000 केस सामने आ रहे हैं. तुषार मेहता ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में 300 से ज्यादा लोगों की मौतें कुत्तों के काटने से हुई थी.

 

कोर्ट ने जन सुरक्षा और रेबीज के बढ़ते खतरे पर गंभीर चिंताओं का हवाला देते हुए कहा कि सड़कों पर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई आवश्यक है. नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और नोएडा, गुरुग्राम व गाजियाबाद की नागरिक एजेंसियों को सड़कों को आवारा कुत्तों से पूरी तरह मुक्त करने का निर्देश देते हुए, सर्वोच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने कड़ी चेतावनी दी कि उन्हें हटाने में बाधा डालने वाले किसी भी संगठन या समूह के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

कोर्ट के इस फैसले से समाज के कई वर्गों में आक्रोश फैल गया. देश भर के पशु प्रेमियों ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और सोशल मीडिया पर बेजुबानों के लिए चिंता व्यक्त की. इसके बाद, भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने तीन न्यायाधीशों की एक पीठ का गठन किया.

For Feedback - feedback@example.com
Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News