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जबलपुर IG को सुप्रीम कोर्ट की फटकार: आरोपियों की गिरफ्तारी में लापरवाही पर जताई नाराज़गी

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जबलपुर : कटनी में एक कंपनी के धोखाधड़ी के मामले में डायरेक्टर्स की गिरफ्तारी रोकना जबलपुर आईजी को महंगा पड़ गया. कटनी में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में कंपनी के तीन डायरेक्टरों की अग्रिम जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी. इसके बावजूद भी जबलपुर जोन के आईजी ने विवेचना पूर्ण नहीं होने तक गिरफ्तारी नहीं करने के आदेश जारी कर दिए थे. हाईकोर्ट जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने आईजी के आदेश को अवमाननापूर्ण मानते हुए उन्हें व्यक्तिगत रूप से तलब किया है.

क्या है डायरेक्टर्स पर धोखाधड़ी का मामला?
दअरसस, कटनी के माधव नगर निवासी हरनीत सिंह लाम्बा की ओर से ये याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया कि हरगढ़ स्थित यूरो प्रतीक इस्पात इंडिया लिमिटेड में वे छह जून, 2018 को डायरेक्टर बनाए गए थे. कंपनी के अन्य डायरेक्टर रायपुर के हिमांशु श्रीवास्तव, सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल, लाची मित्तल और कटनी निवासी सुरेंद्र सिंह सलूजा थे. याचिका में आरोप है कि इसमें से चार डायरेक्टर्स ने धोखे से हरनीत और सुरेन्द्र सिंह को डायरेक्टर पद से हटा दिया. इसके विरुद्ध कटनी के कोतवाली थाने में 27 जुलाई, 2024 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी.

कोर्ट ने खारिज की थी अग्रिम जमानत, फिर भी गिरफ्तारी नहीं
इसके बाद ये मामला कटनी जिला सत्र न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां से हिमांशु, सन्मति और सुनील की अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त हो गईं. महज लाची मित्तल को गर्भवती होने के आधार पर अग्रिम जमानत प्राप्त हुई थी. बाकी तीन डायरेक्टर्स की अग्रिम जमानत निरस्त होने के बाद फरार आरोपियों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट भी कटनी जिला सत्र न्यायालय से जारी हुए, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया.

हाईकोर्ट ने आईजी को किया तलब
याचिका की सुनवाई के दौरान बताया गया कि यूरो प्रतीक इस्पात इंडिया लिमिटेड की जनरल मीटिंग 24 अप्रैल 2024 को रायपुर में होने जा रही है. उस बैठक में याचिकाकर्ता को आधिकारिक तौर पर कंपनी के डायरेक्टर पद से हटा दिया जाएगा. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद राज्य के डीजीपी को यह सुनिश्चित करने कहा कि अगली सुनवाई तक उपरोक्त जनरल मीटिंग न हो पाए. जबलपुर हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बावजूद आईजी जबलपुर के आदेश को गंभीरता से लिया है.

आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किए जाने को लेकर जारी आदेश को अवमाननापूर्ण मानते हुए कोर्ट ने आईजी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह, सिद्धार्थ शुक्ला और अमित दवे ने पक्ष रखा.
 

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