कम समय में दिखने लगता है अच्छा असर
Sugarcane farming – भारत सरकार ने कई वर्षों से किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य बनाया है। इस उद्देश्य को पूरा करते हुए, गन्ना किसानों के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि उनकी आय बढ़े। कृषि विकास और तकनीकी सुधारों पर ध्यान दिया जा रहा है ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके और गन्ना किसानों की आय में वृद्धि हो। इंटरक्रॉप फसलें का उत्तरदायित्व लेने से किसानों को अधिक लाभ मिल सकता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है। इसके अलावा, इंटरक्रॉप फसलों की खेती से मिट्टी की उर्वरकता बनी रहती है और पर्यावरण को भी लाभ पहुंचता है।
लम्बी अवधि की गन्ना फसल में इंटरक्रॉपिंग बीच में समय देने से किसानों को आय में सहारा मिलता है और प्रति एकड़ आमदनी में वृद्धि होती है। एक किसान ने बताया कि अगर वह बंसतकालीन गन्ने की खेती को उन्नत तरीके से करता है, तो 12 महीने बाद प्रति एकड़ 38 से 40 टन गन्ना से शुद्ध लाभ 55 से 60 हजार रुपये होता है। हालांकि, वही किसान जो बंसतकालीन गन्ने में इंटरक्रॉप के रूप में भुट्टे वाली मक्की की खेती करता है, उसे तीन से चार महीने के भीतर प्रति एकड़ 80 हजार रुपये की अतिरिक्त शुद्ध आमदनी होती है।
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अगर किसान इंटरक्रॉप फ्रेंच बीन की खेती करते हैं, तो प्रति एकड़ 65 हजार रुपये की अतिरिक्त शुद्ध आमदनी होगी। गन्ने में उर्द, मूग, और लोबिया की इंटरक्रॉपिंग से प्रति एकड़ 35 से 40 हजार रुपये की शुद्ध आमदनी होगी। बंसतकालीन गन्ने में अगर प्याज, लौकी, खीरा, और भिंडी की इंटरक्रॉपिंग की जाए, तो प्रति एकड़ 40 से 45 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। यदि किसान फरो रेज बेड सिस्टम से गेहूं की बुवाई करते हैं और इंटरक्रॉपिंग के रूप में गन्ना बोते हैं, तो गेहूं की फसल से प्रति एकड़ 25 से 30 हजार रुपये की शुद्ध आमदनी होगी।
बुवाई विधि | Sugarcane farming
गन्ना की बुवाई विधियों में कुंड विधि, समतल विधि, गड्ढा विधि, और नाली विधि विभिन्न परिस्थितियों के लिए विकसित की गई हैं। इनमें, नाली विधि और गड्ढा विधि के माध्यम से बड़े पैमाने पर गन्ना की खेती की जाती है। नाली विधि के अनुसार, गन्ने की बुवाई 30 सेंटीमीटर चौड़ी और 30 सेंटीमीटर गहरी नालियों में की जाती है। एक नाली में गन्ने की दो पंक्तियां रखी जाती हैं। वर्तमान में नई बुवाई पद्धतियों में गन्ना पौध रोपण विधि बहुत ही उपयोगी पाई गई है। इस तकनीक में पहले गन्ने की नर्सरी तैयार की जाती है, इसके बाद तैयार नर्सरी पौध को मुख्य खेत में रोपाई की जाती है। यह विधि इंटरक्रॉपिंग फसल लेने के लिए अधिक उपयोगी पाई गई है।
विधि का तरीका
इस विधि में पहला तरीका है कि लाइन से लाइन की दूरी पांच फीट होती है और पौधे से पौधे की दूरी 2 फीट रखी जाती है। जबकि गन्ने की पौध रोपाई करने पर 5000 पौध प्रति एकड़ लगता है और दूसरा तरीका है कि लाइन से लाइन की दूरी 4 फीट होती है और पौधे से पौधे की दूरी 1.5 फीट होती है। इस तरीके से रोपण करने से 8000 पौध प्रति एकड़ जरूरी होती है। इन लाइन से लाइन बीच में इंटरक्रॉपिंग वाली कम अवधि वाली फसलों की बुवाई करने से किसानों को 12 महीनों की जगह तीन से चार महीनों के अंदर अतिरिक्त आमदनी मिलती है और गन्ने की उपज भी बेहतर होती है।
प्रति एकड़ इनकम में बढ़ोतरी | Sugarcane farming
बसंत कालीन गन्ने के साथ मूंग, उड़द, लोबिया या फ्रेंचबीन के इंटरक्रॉपिंग शुद्ध आय में बढ़ोत्तरी के साथ गन्ने की फसल को पोषक तत्व भी प्राप्त होते हैं। इन फसलों की फली तोड़ने के बाद पौधों को हरी अवस्था में ही गन्ने की दो पंक्तियों के बीच भूमि में पलट कर दबा देने से 12 से 15 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति एकड़ की बचत होती है। गन्ने में इंटरक्रॉपिंग फसलों की खेती किसानों के देर से गन्ना मूल्य मिलने से आने वाली समस्याओं को दूर करने में मददगार होगी। इसके साथ ही प्रति एकड़ इनकम में बढ़ोतरी होगी। किसान गन्ने के साथ एक फसल लगा सकते हैं, जिससे गन्ना तैयार होने में लगने वाले समय के बीच अच्छी आमदनी होगी। डॉ सिंह ने कहा कि बसंतकालीन गन्ने की फसल के बीच में इंटरक्रॉप के लिए मक्का, प्याज, फ्रेंच बीन, उड़द, मूंग की फसल के अलावा खीरा और ककड़ी जैसी सीधी उगाने वाली सब्जियां लगाई जा सकती हैं। इस तरह बिना फसल को नुकसान पहुंचाए 40 हजार से 50 हजार रुपये प्रति एकड़ तक की अतिरिक्त आमदनी ली जा सकती है।