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Strange – टैक्स शहर का सुविधाएं गांव की!

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बिजली कंपनी शहरवासियों को करा रही गांव की अनुभूति

Strange बैतूल आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि टैक्स तो शहर का लिया जा रहा है लेकिन सुविधाएं गांव की दी जा रही है। यह भेदभाव और कोई नहीं बल्कि मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा किया जा रहा है जिससे शहर के क्षेत्रवासी खासे परेशान नजर आ रहे हैं लेकिन विद्युत कंपनी के जिम्मेदार अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।

हालात यह है कि शहरवासियों को विद्युत कंपनी बार-बार ग्रामीण अंचलों की तरह बिजली गुल कर गांव में रहने की अनुभूति करा रही है।

पॉश इलाके के हैं हालात | Strange

बैतूल शहर का पॉश इलाका माने जाने वाला चक्कर रोड जिससे सरकार को रजिस्ट्री से लेकर नगर पालिका के टैक्स तक खासा राजस्व की वसूली होती है। इस क्षेत्र की जमीन बहुत महंगी है। लेकिन यहां जमीन खरीदने के बाद मकान बनाकर रहने वाले लोग बहुत परेशान नजर आ रहे हैं।

इसका मुख्य कारण है यह इलाका बिजली कंपनी के ग्रामीण फीडर मरामझिरी से जुड़ा हुआ है। इस फीडर से ग्रामीण अंचलों की तरह बेहताशा कटौती की जा रही है जिससे क्षेत्रवासी परेशान हो रहे हैं। गर्मी के मौसम में बार-बार कटौती होने से शहरवासियों के हाल बेहाल हो रहे हैं।

चक्कर रोड और रानीपुर रोड के लोग परेशान | Strange

चक्कर रोड पर आधे मोती वार्ड से लेकर फांसी खदान, गोठी कालोनी, देवश्री विहार कालोनी, वैष्णवी कालोनी के अलावा फारेस्ट बेरियर तक स्थित अन्य कई कालोनियां दूसरी तरफ रानीपुर रोड पर स्थित कई कालोनियों के लोग मरामझिरी फीडर से जुड़े होने के कारण परेशान हैं।

इन दिनों भीषण गर्मी के चलते जहां गर्मी से लोग परेशान हैं वहीं बिजली कटौती के कारण कूलर-पंखे तो बंद हो ही जाते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी पानी की होती है। बिजली कटौती के चलते लोगों को घंटों पानी का इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा कामकाजी लोगों को कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल चार्ज नहीं होने के कारण परेशानी उठानी पड़ती है।

वाह री सरकार | Strange

बिजली कंपनी की मनमानी से लगता है कि इसका खामियाजा भाजपा सरकार को भुगतना पड़ सकता है। प्रदेश में 19 साल से भाजपा की सरकार है। 2018 के चुनाव छोड़ दें तो बैतूल विधानसभा से तीन बार भाजपा के विधायक चुने गए हैं। और एक बार कांग्रेस के विधायक चुने गए।

लेकिन यहां की भाजपा विधायकों ने सुध ली और ना ही कांग्रेस विधायक सुन रहे हैं। नतीजा यह है कि क्षेत्रवासी भी अब उनकी समस्या का निराकरण ना होने पर मोर्चा खोलने का मन बना चुके हैं।

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