उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग के SIR अभियान (Special Identification Revision) को लेकर बड़ा सियासी घमासान मचा हुआ है। समाजवादी पार्टी (SP) और योगी सरकार आमने-सामने आ गई हैं। SP प्रमुख अखिलेश यादव ने SIR प्रक्रिया में जाति जनगणना का कॉलम जोड़ने की मांग की है। वहीं, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने पलटवार करते हुए अखिलेश पर घुसपैठियों को बचाने का आरोप लगाया है।
अखिलेश यादव बोले – “बिना जाति जनगणना के सामाजिक न्याय अधूरा”
लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि “सामाजिक न्याय बिना जाति जनगणना के अधूरा है।” उन्होंने मांग की कि SIR प्रक्रिया में जाति का कॉलम जोड़ा जाए ताकि समाज में बराबरी और न्याय की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें। अखिलेश ने कहा कि जातिगत आंकड़ों से सरकार को यह समझने में मदद मिलेगी कि शिक्षा, रोजगार और विकास में किन वर्गों को अधिक भागीदारी की जरूरत है।
बृजेश पाठक का पलटवार – “SP को घुसपैठियों के उजागर होने का डर”
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी को SIR प्रक्रिया से डर लग रहा है। उन्होंने कहा – “SP नेता घबराए हुए हैं क्योंकि यह अभियान मतदाता सूची से घुसपैठियों की पहचान करने का काम कर रहा है।” बृजेश पाठक ने अखिलेश पर जातिवाद और तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह चुनावी हार के बाद फिर से जातीय कार्ड खेलकर जमीन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।
SIR प्रक्रिया पर सियासी बयानबाज़ी तेज
जहां एक ओर समाजवादी पार्टी इसे समानता और सामाजिक न्याय का मुद्दा बता रही है, वहीं भाजपा इसे सुरक्षा और पारदर्शिता से जोड़ रही है। अखिलेश यादव का कहना है कि इस अभियान को जाति आधारित डेटा से जोड़ने पर समाज में संतुलन बनेगा, जबकि भाजपा का कहना है कि यह केवल प्रशासनिक प्रक्रिया है जिसका मकसद पारदर्शी मतदाता सूची तैयार करना है।
उत्तर प्रदेश में नया सियासी समीकरण बनता नजर आ रहा है
SIR अभियान को लेकर दोनों दलों के बीच यह जुबानी जंग आने वाले चुनावों की दिशा तय कर सकती है। समाजवादी पार्टी जहां सामाजिक न्याय का नारा बुलंद कर रही है, वहीं भाजपा इसे सुरक्षा और ईमानदार प्रशासन की कसौटी बता रही है। कुल मिलाकर, SIR अभियान अब सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं रहा, बल्कि बिहार की तरह यूपी की राजनीति का नया सियासी मुद्दा बन गया है।





