मुलताई:- पवित्र नगरी में रविवार रात्रि करीब साढे 10 में महाराष्ट्रीयन ब्राम्हण समाज द्वारा भगवान विष्णु जी के चौथे रौद्र अवतार भगवान श्री नरसिहं जी का प्रकटोत्सव गांधी चौक से जयस्तंभ चौक रोड पर मनाया गया। जहां भगवान श्री नरसिहं जी की लीला दिखाई गई। पंडित प्रवीण जोशी ने बताया बीते 100 से अधिक वर्षो से महाराष्ट्रीयन ब्राम्हण समाज द्वारा लीला का आयोजन किया जा रहा है । जिसमें मुख्य रूप से विहते परिवार,देशमुख परिवार एवं जोशी परिवार द्वारा इस आयोजन में बढ चढ कर हिस्सा लिया जाता है । उन्होने बताया पद्म और स्कंद पुराण के मुताबिक वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे।
नरसिंह नाम के ही अनुसार इस अवतार में भगवान का रूप आधा शरीर नर का और आधा शरीर सिंह का है। राक्षस राजा हिरण्यकश्यप ने भगवान की तपस्या कर के चतुराई से वरदान मांगा था। जिसके अनुसार उसे कोई दिन में या रात में, मनुष्य, पशु, पक्षी कोई भी न मार सके। पानी, हवा या धरती पर, किसी भी शस्त्र से उसकी मृत्यु न हो सके। दैत्य राजा हिरण्यकश्यप का बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, इसलिए प्रहलाद पर अत्याचार होते थे। कई बार मारने की कोशिश भी की गई। भगवान विष्णु अपने भक्त को बचाने के लिए खंबे से नरसिंह रूप में प्रकट हुए। उन्होने बताया कि रविवार को सुबह से ही भगवान नरसिहं का पुजन कीर्तन किया गया। संध्या के समय भगवान नरसिहं का अवतार हुआ । जिसकी लीला दिखाई गई। वही भगवान नरसिहं जी खम्बें में से प्रकट हुए थे। खंबे रूवरूप में एक तोरण बांधी जाती,जिसके एक ओर भगवान नरसिहं तथा दुसरी ओर राजा और उसके सैनिक होते है। जो बारी बारी से भगवान से युद्व करने आते है, अंतिम में राक्षस राजा हिरण्यकश्यप युद्व करने के लिए आता है। जिसके बाद भगवान प्रकट होते है तथा राक्षस राजा हिरण्यकश्यप से युद्व कर उसका वध कर देते है। जिसके पश्चात भगवान के अवतार रूवरूप को मंदिर में आरती कर शांत किया गया। प्रसादी वितरण के बाद कार्यक्रम की समाप्ति हुई। लीला में राजा का अभिनय विक्रम देशमुख के द्वारा तथा भगवान के अवतार का सुंदर अभिनय शुभांकर विहते द्वारा किया गया। सौरभ धर्माधिकारी द्वारा भगवान के रौद्र अवतार को संभाला गया । उन्होने बताया कि भगवान नरसिहं के अवतार का स्मरण करने से ही सभी प्रकार की बाधा दूर हो जाती है। इस अवसर पर सैकडो लोगो ने लीला का आनंद लिया।