Seed: गेहूं की खेती में इन किस्मों के बीज की करें बुवाई

By
On:
Follow Us

Seed: गेहूं की खेती में इन किस्मों के बीज की करें बुवाई आज के दौर में गेहूं की खेती किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि गेहूं की खेती में कुछ महत्वपूर्ण तकनीकों और सही देखभाल से लाखों का मुनाफा कमाया जा सकता है। खेती के दौरान खाद और उर्वरकों का सही तालमेल उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि गेहूं की सफल खेती के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

1. बुवाई का सही समय:

गेहूं की बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच होता है।इस समय पर उच्च गुणवत्ता वाली प्रजातियों की बुवाई की जानी चाहिए।यदि बुवाई 15 दिसंबर से 20-25 दिसंबर तक होती है, तो मध्यम और देरी वाली प्रजातियों का उपयोग किया जाता है।

2. खेत की तैयारी:

बुवाई से पहले खेत की जुताई कर इसे नमी युक्त बनाना जरूरी है ताकि फसल अच्छी तरह से जम सके।खेत को सही तरीके से तैयार करना पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए अहम है।

3. बीज की मात्रा:

यदि आप बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच कर रहे हैं, तो एक बीघा जमीन के लिए 25 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है।देर से बुवाई करने पर बीज की मात्रा बढ़ाकर 35 किलोग्राम करनी चाहिए।

4. उर्वरक का उपयोग:

गोबर और कंपोस्ट की कमी होने पर निम्नलिखित उर्वरकों का इस्तेमाल करना लाभकारी होता है:नाइट्रोजन, यूरिया, डीएपी, फास्फोरस, सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी), और न्यूरोटा पोटाश।साथ ही, बुवाई के समय 5 किलोग्राम सल्फर और 3 किलोग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग करना भी फसल की वृद्धि में सहायक होता है।

5. बुवाई की विधि:

गेहूं की बुवाई सीड ड्रिल विधि से करना अधिक लाभकारी होता है। इस विधि में बीज और उर्वरक दोनों को एक साथ डाला जाता है, जिससे पौधों को पोषक तत्वों की आपूर्ति प्रारंभ से ही होती रहती है।

6. सिंचाई और उर्वरक का संतुलन:

पहली सिंचाई 20 से 25 दिनों के भीतर करना जरूरी है। इसके साथ ही नाइट्रोजन (यूरिया) का उपयोग करना भी आवश्यक होता है।गेहूं की फसल में उर्वरक और पानी का संतुलन बनाए रखना फसल की बेहतर उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।

7. उत्पादन में वृद्धि के उपाय:

संतुलित उर्वरक का उपयोग, सही समय पर सिंचाई, और बेहतर बुवाई विधि से गेहूं की खेती का उत्पादन दोगुना किया जा सकता है।नई तकनीकों का सही उपयोग करने से खेती में प्रोडक्शन और क्वालिटी में सुधार होता है। यदि गेहूं की खेती करते समय सही तकनीक और उर्वरक संतुलन का पालन किया जाए, तो इससे किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। सही समय पर बुवाई, उचित सिंचाई और सटीक उर्वरक प्रबंधन से फसल की पैदावार को बेहतर किया जा सकता है, जो किसानों को अधिक लाभ दिलाने में मदद करेगा।

source internet