कानपुर: यूपी के कानपुर से एक चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है। कानपुर में ग्राम पंचायत सचिव ने एक ही शख्स की दो अलग-अलग तारीखों पर मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया। कोर्ट में एक मुकदमें में इसकी जांच कराई गई तो फर्जीवाड़ा सामने आ गया। जांच में सामने आया कि ग्राम पंचायत सचिव ने बिना किसी पड़ताल के मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया था। इसके बाद ग्राम सचिव को निलंबित कर दिया गया।
कानपुर में ग्राम पंचायत छतेरुआ गांव निवासी रामकेश यादव का ग्राम सचिव दीपक यादव ने अलग-अलग तारीख पर मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया था। जांच के बाद डीपीआरओ मनोज कुमार ने ग्राम सचिव दीपक यादव को निलंबित कर दिया। रामकेश के खिलाफ कानपुर देहात की कोर्ट में चल रहे मुकदमें में अलग-अलग मृत्यु प्रमाणपत्र पेश किए गए तो फर्जीवाड़ा सामने आ गया। इसके बाद कोर्ट ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
घरेलू हिंसा का मुकदमा
बीडीओ ने जब इसकी जांच की तो ग्राम सचिव दोषी पाए गए। बीडीओ की रिपोर्ट पर डीपीआरओ ने कार्रवाई की। भीतरगांव ब्लॉक के छतेरुआ गांव निवासी रामकेश यादव के खिलाफ कानपुर देहात की कोर्ट में घरेलू हिंसा का मुकदमा चल रहा था। इस दौरान अचानक रामकेश यादव की मौत हो जाती है। इस लिए परिजनों ने मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के लिए पोर्टल पर आवेदन किया। जिसमें उनकी मृत्यु की तारीख 27 अप्रैल 2024 दिखाई गई।
विपक्ष ने जताई आपत्ति
जबकि ग्राम सचिव ने 29 मई 2024 को इसका प्रमाणपत्र जारी कर दिया। इसके एक साल बाद मृतक के परिजनों ने 28 अप्रैल 2024 की मौत दिखाकर दोबारा प्रमाणपत्र बनाने के लिए आवेदन कर दिया। सचिव ने बिना जांच-पड़ताल किए इसी तारीख का दूसरा मृत्यु प्रमाणपत्र तीन मई 2025 का जारी कर दिया। मृतक के खिलाफ कोर्ट में चल रहे मामले में परिजनों ने यह प्रमाणपत्र लगाया तो विपक्षी पार्टी ने आपत्ति जताई। इसके बाद कोर्ट ने जिलाधिकारी को जांच के लिए पत्र लिखा था।
सीडीएम को सौंपी कार्रवाई
डीएम ने सीडीएम नरवल को जांचकर कार्रवाई के निर्देश दिए। बीडीओ निशांत राय ने जांच की तो पता चला कि पहला आवेदन मृतक के आधार नंबर पर किया गया था। दोबारा आवेदन बिना आधार के किया गया। सचिव ने।बिना जांच के प्रमाणपत्र जारी कर दिया। बीडीओ की रिपोर्ट के आधार पर डीपीआरओ ने सचिव को निलंबित कर दिया।