जिलों के कलेक्टरों के अधिकार क्षेत्र में होगा हटाने का निर्णय
Sand mining: मध्य प्रदेश में 30 सितंबर तक लागू रेत खनन पर प्रतिबंध एक अक्टूबर से समाप्त हो जाएगा, लेकिन इसे पूरी तरह से हटाने का निर्णय जिलों के कलेक्टरों के अधिकार क्षेत्र में होगा। स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन और खनिज विभाग ने कलेक्टरों को इस संबंध में मानसून की स्थिति के आधार पर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं।
रेत खनन पर प्रतिबंध और उसकी अवधि:
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशानुसार, हर साल 15 जून से 30 सितंबर के बीच रेत खनन पर प्रतिबंध लगाया जाता है। इस अवधि में मानसून सक्रिय रहता है, जिससे रेत खनन का काम रोका जाता है। राज्य सरकार ने इस साल भी इसी गाइडलाइन के आधार पर रेत खनन को रोकने के निर्देश दिए थे। मौसम विज्ञान केंद्र नागपुर के अनुसार, मध्य प्रदेश में मानसून की अवधि 15 जून से 1 अक्टूबर तक मानी जाती है।
कलेक्टरों के अधिकार:
स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन के एमडी और खनिज साधन विभाग के डायरेक्टर अनुराग चौधरी के अनुसार, कलेक्टर अपने जिले में मानसून की स्थिति के आधार पर रेत खनन पर लगे प्रतिबंध को हटाने का निर्णय ले सकते हैं। कुछ जिलों में, जहां 10 अक्टूबर तक मानसून सक्रिय रहने की संभावना है, वहाँ प्रतिबंध थोड़ी देरी से हटाया जा सकता है। प्रदेश के 55 में से 44 जिलों में रेत खनन व्यापक रूप से होता है, और सरकार इन जिलों में रेत खनन के ठेके भी जारी करती है।
मानसून के दौरान रेत की बिक्री:
मानसून के सक्रिय रहने के दौरान, केवल वही व्यापारी रेत की बिक्री कर सकते हैं जिन्होंने रेत का वैध भंडारण किया हुआ हो। अवैध भंडारण या अवैध खनन के मामलों में कलेक्टरों को रेत जब्त करने और आवश्यक कार्रवाई करने का अधिकार है। हालांकि, इस अवधि के दौरान भी अवैध खनन और परिवहन के मामले सामने आते रहते हैं, जिन पर प्रशासन सख्त कार्रवाई करता है।इस नई व्यवस्था के तहत, जिलों में रेत खनन के लिए स्थानीय मौसम और मानसून की स्थिति को ध्यान में रखकर निर्णय लिए जाएंगे, जिससे खनन का काम फिर से शुरू हो सकेगा।
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