आखरी चंद्रग्रहण: साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा कल तो जाने कब लगेगा, कहाँ दिखेगा, राशिओ पर क्या पड़ेगा प्रभाव और होगा कब मोक्ष, कार्तिक पूर्णिमा पर 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण लगेगा। यह साल का दूसरा व आखिरी चंद्र ग्रहण होगा। यह भारत में भी नजर आएगा। जिसके चलते देश में सूतक काल मान्य होगा। भारत में ये चंद्र ग्रहण सबसे पहले अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में नजर आएगा। चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पूर्व से शुरू हो जाता है।
आखरी चंद्रग्रहण:
साल के आखरी चंद्रग्रहण को लेकर आई बहुत बड़ी खबर Big news about the last lunar eclipse of the year
आखरी चंद्रग्रहण:
साल के आखरी चंद्रग्रहण को लेकर आई बहुत बड़ी खबर जाने कब होगा चंद्रग्रहण और किन राशियों पर दिखायेगा अपना अधिक प्रभाव,कैसे करे बचाव देखे
आखरी चंद्रग्रहण:
Chandra Grahan 8 November 2022 Timing and Details
किस राशि में लगेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण (In which zodiac sign will the last lunar eclipse of the year take place?)
साल का आखिरी चंद्र ग्रहण मेष राशि व भरणी नक्षत्र में लगेगा। यह ग्रहण दोपहर को 1 बजकर 32 मिनट से शुरू होगा लेकिन भारत में शाम 05 बजकर 20 मिनट पर दिखना शुरू होगा। इसका समापन शाम 06 बजकर 20 मिनट पर होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक काल 08 नवंबर को सुबह 09 बजकर 2 मिनट पर लग जाएगा।
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जाने कब होगा चंद्रग्रहण और किन राशियों पर दिखायेगा अपना अधिक प्रभाव,कैसे करे बचाव देखे Know when the lunar eclipse will happen and on which zodiac signs will show its effect, see how to protect
आखरी चंद्रग्रहण:
कहां-कहां नजर आएगा चंद्र ग्रहण (Where will the lunar eclipse be visible?)
साल का आखिरी चंद्रग्रहण भारत समेत दक्षिणी/पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक और हिंद महासागर में देखने को मिलेगा। Read Also: Bigg Boss 16:बिग बॉस 16 अपडेट कैप्टन अब्दु रोजिक ने बिग बॉस में अपना आपा खोया, अर्चना गौतम को कहा – ‘बेवकूफ कुत्ता’
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साल के आखरी चंद्रग्रहण को लेकर आई बहुत बड़ी खबर Big news about the last lunar eclipse of the year
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चंद्र ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथाचंद्र ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा चंद्र ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा Mythology related to lunar eclipse Mythology related to lunar eclipse Mythology related to lunar eclipse
आखरी चंद्रग्रहण:
समुद्र मंथन के दौरान स्वर्भानु नामक एक दैत्य ने छल से अमृत पान करने की कोशिश की थी। तब चंद्रमा और सूर्य की इस पर नजर पड़ गई थी। इसके बाद दैत्य की हरकत के बारे में चंद्रमा और सूर्य ने भगवान विष्णु को जानकारी दे दी। भगवान विष्णु ने अपने सुर्दशन चक्र से इस दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया। अमृत की कुछ बंदू गले से नीचे उतरने के कारण ये दो दैत्य बन गए और अमर हो गए।सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ केतु के नाम से जाना गया। माना जाता है कि राहु और केतु इसी बात का बदला लेने के लिए समय-समय पर चंद्रमा और सूर्य पर हमला करते हैं। जब ये दोनों क्रूर ग्रह चंद्रमा और सूर्य को जकड़ते लेते है तो ग्रहण लगता है और इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है और दोनों ही ग्रह कमजोर पड़ जाते हैं। इसलिए ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।