Rupee at All Time Low: भारतीय रुपये ने एक बार फिर नया निचला रिकॉर्ड बना दिया है। मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 90.83 के स्तर पर पहुंच गया, जो अब तक का सबसे कमजोर स्तर माना जा रहा है। इससे पहले सोमवार को रुपया 90.74 पर बंद हुआ था। लगातार दूसरे दिन आई इस गिरावट ने बाजार और आम लोगों दोनों की चिंता बढ़ा दी है।
डॉलर के मुकाबले क्यों कमजोर पड़ रहा है रुपया
विदेशी मुद्रा बाजार के जानकारों के मुताबिक निवेशक इस समय जोखिम से बचने की कोशिश कर रहे हैं। भारत अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इसके अलावा विदेशी निवेशक लगातार भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। आयात करने वाली कंपनियों की तरफ से डॉलर की मांग भी काफी बढ़ गई है, जिससे रुपये पर दबाव और ज्यादा हो गया है।
विदेशी निवेश की निकासी बना बड़ी वजह
पिछले कुछ हफ्तों से विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय शेयर और बॉन्ड बाजार से पूंजी निकाल रहे हैं। इसका सीधा असर रुपये पर पड़ा है। जब विदेशी निवेशक डॉलर खरीदते हैं तो रुपये की मांग कम हो जाती है। इसी वजह से रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है। बाजार में अनिश्चितता के चलते निवेशक सुरक्षित विकल्पों की ओर झुक रहे हैं।
व्यापार घाटे में सुधार से मिल सकती है राहत
हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आने वाले समय में रुपये को थोड़ी राहत मिल सकती है। नवंबर महीने में भारत का व्यापार घाटा घटकर करीब 24.53 अरब डॉलर रह गया है, जो अक्टूबर में 41.64 अरब डॉलर था। इससे विदेशी निवेशकों की घबराहट कुछ हद तक कम हो सकती है। अगर हालात बेहतर हुए तो रुपये की गिरावट पर ब्रेक लग सकता है।
एशियाई मुद्राओं में सबसे कमजोर प्रदर्शन
मंगलवार को भारतीय रुपया एशियाई मुद्राओं में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गया। पिछले हफ्ते भी रुपया लगातार फिसलता रहा था और शुक्रवार को यह 90.49 के स्तर पर बंद हुआ था। बेहतर व्यापार आंकड़े आने के बावजूद रुपये में कोई खास मजबूती नहीं दिखी। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक वैश्विक हालात और विदेशी निवेश की स्थिति नहीं सुधरती, तब तक रुपये पर दबाव बना रह सकता है।





