मुंबई: रत्ना पाठक शाह और नसीरुद्दीन शाह भारतीय सिनेमा के दो सबसे सम्मानित कलाकारों में से हैं। दोनों की शादी 1982 में हुई थी और उनके दो बेटे हैं, एक इमाद शाह और दूसरा विवान शाह। हाल ही में एक इंटरव्यू में रत्ना ने अपने करियर और अभिनय के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि अभिनय के पेशे के बारे में उनकी राय नसीरुद्दीन से अलग है।
अभिनय पर नसीरुद्दीन से अलग है रत्ना की राय
फेय डिसूजा के साथ बातचीत के दौरान, रत्ना ने किसी के अभिनेता बनने के बारे में बात की। उन्होंने कहा 'मैं नसीर की बात दोहराना चाहूंगी, 'आपको तब तक अभिनेता नहीं बनना चाहिए जब तक आपको यह न लगे कि अभिनय न करने पर आप मर जाएंगे।' मैं उन लोगों में से नहीं हूं। इस बारे में नसीर के साथ मेरी काफी बहस हुई। वह ऐसा कैसे कह सकते हैं? मुझे नहीं लगता कि अगर मैं अभिनय नहीं कर पाई तो मैं मर जाऊंगी! मुझे अभिनय पसंद है, मैं इसका आनंद लेती हूं, मैं इसे पूरी गंभीरता से करती हूं। हालांकि मुझे नहीं लगता कि यही वह एकमात्र चीज है जो मैं जीवन से चाहती हूं।'
अभिनय पर नसीरुद्दीन शाह की राय
रत्ना ने आगे कहा "बहुत सारे एक्टिंग स्टूडेंट उनके पास आते हैं और कहते हैं, मैं कुछ साल कोशिश करके देखता हूं।' नसीर उनसे कहते हैं 'जाओ और अभिनय के बारे में भूल जाओ। कुछ साल कोशिश करने से तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा।"
रत्ना के मुताबिक नसीर कहते हैं 'क्या तुम कलाकार बनने के लिए हमेशा इंतजार करने को तैयार हो? क्या तुम सब कुछ सहने को तैयार हो? क्या तुम निराशाएं और दर्द सहने के लिए तैयार हो? इसलिए, जब तक तुम्हें ऐसा न लगे कि एक्टिंग न करने पर तुम मर जाओगे, तब तक इस धंधे में न आना ही बेहतर है।'
अभिनय पर रत्ना शाह की राय
रत्ना के मुताबिक नसीरुद्दीन का कहना है कि अभिनय में बहुत जल्दी नतीजा और कामयाबी नहीं मिलती। अभिनय के लिए एक इंसान को जिंदगी भर लगे रहना पड़ता है। हालांकि रत्ना के मुताबिक अभिनय में बहुत मजा आता है। वह जिंदगी के दूसरे पहलुओं को भी अहमियत देती हैं। उनके मुताबिक जुनून और संतुलन एक साथ चलते हैं।
नसीरुद्दीन शाह का काम
नसीरुद्दीन शाह वेनिस फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीतने वाले एकमात्र भारतीय अभिनेता हैं। उन्होंने यह पुरस्कार फिल्म 'पार' के लिए जीता। उन्होंने 'स्पर्श', 'पार' और 'इकबाल' में अपने अभिनय के लिए तीन नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी जीते हैं।