28 दिनों से जारी है प्रदर्शन, सीनियर पुलिस अधिकारी ने उन्हें पैसे देने की थी पेशकश
Rape-murder case in Kolkata: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के मामले को लेकर प्रदर्शन 28 दिनों से जारी है। बुधवार देर रात इस विरोध में पीड़िता के माता-पिता भी शामिल हुए। पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस शुरू से ही इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही थी। उन्होंने कहा कि जब उनकी बेटी की डेडबॉडी पोस्टमार्टम के लिए ले जानी थी, तो उन्हें पुलिस स्टेशन में इंतजार करना पड़ा। बाद में, जब शव उन्हें सौंपा गया, तो एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने उन्हें पैसे देने की पेशकश की। इस घटना ने व्यापक आक्रोश और नाराजगी पैदा की है, और प्रदर्शनकारी न्याय की मांग कर रहे हैं। मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। पश्चिम बंगाल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को दिए गए राष्ट्रपति पुलिस पदक और पुलिस पदक वापस लेने की मांग की है। यह मांग ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले से संबंधित है, जिसमें पुलिस पर कार्यवाही को दबाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। इस बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में सोशल मीडिया पर की जा रही आपत्तिजनक पोस्ट्स को लेकर 18 सितंबर तक CBI से रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने इन पोस्ट्स को लेकर सख्त नाराजगी जताई, विशेष रूप से पीड़िता की तस्वीर के साथ की गई घिनौनी टिप्पणियों पर, और कहा कि ये किसी भी सभ्य समाज के लिए अस्वीकार्य हैं।
कोलकाता पुलिस पर पीड़िता के माता-पिता ने दो गंभीर आरोप लगाए हैं:
- पुलिस की सुरक्षा और सहयोग में कमी: पीड़िता के माता-पिता का आरोप है कि अंतिम संस्कार से पहले 300-400 पुलिसकर्मियों ने उन्हें घेर रखा था, लेकिन अंतिम संस्कार के बाद पुलिस वहां से चली गई। इसके बाद परिवार को घर वापस जाने के लिए कोई पुलिस सहायता नहीं दी गई, जिससे उन्हें अकेले ही निपटना पड़ा।
- पुलिस की अमानवीयता: पीड़िता के माता-पिता ने आरोप लगाया कि जब उनकी बेटी का शव घर में पड़ा था और वे दुख में थे, तब पुलिस ने उन्हें पैसे देने की पेशकश की। उनके अनुसार, पुलिस ने यह दावा किया कि उन्होंने अपनी सारी जिम्मेदारियाँ पूरी कर दी हैं। माता-पिता ने इस व्यवहार को अमानवीय करार दिया और इसे पुलिस की जिम्मेदारी निभाने के नाम पर एक असंवेदनशील हरकत बताया।
ये आरोप इस मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
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