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पठानकोट में बारिश का कहर: चक्की नदी का पुल बहा, कई इलाकों में बाढ़

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चंडीगढ़। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में शनिवार रात से हो रही भारी बारिश के कारण पठानकोट ज़िले में बाढ आने के कारण पठानकोट-जालंधर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना पुराना पुल चक्की नदी में बह गया है। इसके अलावा भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे गांवों में हालात गंभीर बन गए हैं। उझ नदी, रावी नदी और अन्य जल निकासी नहरों में पानी का बहाव बढ़ने से किसानों की फ़सलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

पठानकोट जिले में मौसम लगातार कहर बरपा रहा है। भारी बारिश के कारण हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। नदियां और छोटी नदियां उफान पर हैं, जिससे पठानकोट के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। बारिश से हुए नुकसान ने स्थानीय लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ा दी हैं। चक्की नदी सबसे ज्यादा चिंता का विषय बनी हुई है। इस नदी की बाढ़ के कारण पठानकोट को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण रेलवे पुल खतरे में नजर आ रहा है। कुछ हिस्सों में नदी का बहता पानी पुल की संरचना को प्रभावित कर रहा है। इसके अलावा पठानकोट-जालंधर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना पुराना पुल भी चक्की नदी में बहकर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पठानकोट प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की है। लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर चक्की नदी पर बने नए पुल को भी बंद कर दिया गया है। इस फैसले के बाद पठानकोट-जालंधर राष्ट्रीय राजमार्ग को एक तरफ से बंद कर दिया गया है।

दीनानगर-बामियाल मार्ग (बाया कोहलियान) पर भारी बारिश से भारी नुकसान हुआ है और जलालिया नाले के पास सड़क का लगभग 30 से 40 फ़ुट हिस्सा बह गया है, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। चक्की नदी में बाढ़ के कारण, रविवार को पठानकोट में चक्की नदी पर बना एक पुराने सड़क पुल का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ के पानी में बह गया। हालांकि यह पुल इस्तेमाल में नहीं है, लेकिन हिमाचल प्रदेश से निकलने वाली नदी में आई बाढ़ के कारण किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए प्रशासन ने जालंधर-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने नए पुल के एक तरफ़ को बंद कर दिया है।

यह पुल जालंधर से आने वाले यात्रियों के लिए खुला है, जबकि जालंधर जाने वालों के लिए मार्ग बदल दिया गया है। बाढ़ के पानी ने जालंधर-पठानकोट-जम्मू रेल संपर्क पर बने महत्वपूर्ण रेलवे पुल के नीचे नदी के किनारे की मिट्टी को बहा दिया है। यह पुल जम्मू-कश्मीर को पंजाब, दिल्ली और देश के अन्य राज्यों से जोड़ता है। इस बीच, जिले के मनवाल इलाके में एक मौसमी नाले के किनारे स्थित एक मकान बाढ़ के पानी में बहकर पूरी तरह ढह गया। हालाँकि, इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

उधर, प्रशासन ने चक्की नदी के आसपास की आबादी वाले इलाके को खाली करवाकर निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है। कल रणजीत सागर बांध के फ्लड गेट और एक स्पिलवे गेट खोलकर 6,400 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। स्थिति का जायज़ा लेने और उसके अनुसार कदम उठाने के लिए, कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक ने प्रभावित स्थलों का दौरा किया। उन्होंने कहा कि पानी कम होते ही सड़क को जल्द से जल्द बहाल कर दिया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों का ज़मीनी आकलन कर लिया गया है और इस बारिश से हुई फ़सलों के नुकसान की भरपाई पंजाब सरकार करेगी। उन्होंने कहा कि लोगों को घबराने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि सरकार प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों में लगी हुई है। साथ ही, ज़िला प्रशासन की टीम भी क्षेत्र में पूरी तरह सतर्क और सक्रिय है।

राज्य में ब्यास नदी का तटबंध टूटने से मुकेरियां उपमंडल के कई गांवों में कृषि भूमि और निचले इलाके जलमग्न हो गए। गंडोवाल, रारा मंड, तल्ही, अब्दुल्लापुर, मेवा मियानी और फत्ता कुल्ला गांवों सहित टांडा क्षेत्र के निचले इलाकों में खड़ी धान, गन्ना और अन्य फसलें जलमग्न हो गई हैं, जिससे किसानों में चिंता पैदा हो गई है। मुकेरियां जिला प्रशासन ने कहा कि उसने बाढ़ संभावित गांवों में निगरानी बढ़ा दी है तथा स्थिति बिगड़ने पर तत्काल कार्रवाई के लिए तैयार है।

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