Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

क्वाड का कोई भविष्य नहीं? चीन की भविष्यवाणी क्या सच होगी साबित

By
On:

वॉशिंगटन। चीनी के प्रमुख अखबार ने तीन साल पहले भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि क्वाड का भविष्य नहीं है। उसने कहा था कि भविष्य में क्वाड का कोई महत्व नहीं रह जाएगा। उस वक्त इस भविष्यवाणी को सिर्फ एक प्रोपेगेंडा माना गया था, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के करीब 200 दिनों में यह साबित कर दिया है कि क्वाड का भविष्य खतरे में है। ट्रंप ने पहले भारत-अमेरिका के रिश्तों को खराब किया और अब उन्होंने जापान के साथ भी अच्छा सलूक नहीं किया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक क्वाड बनाने का मकसद इंडो-पैसिफिक में चीन को काउंटर करना था। इसमें चार सदस्य देश हैं, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में क्वाड को मजबूत किया था और बाइडेन प्रशासन ने उस नीति को आगे बढ़ाया था, लेकिन अब ट्रंप प्रशासन ने भारत के साथ जापान पर भी टैरिफ लगाए हैं, बल्कि अपमानजनक बयानबाजी भी की है। ट्रंप ने इस गठबंधन की एकजुटता और आपसी विश्वास को तहस-नहस कर दिया है।
ट्रंप के फैसले चीन के लिए किसी रणनीतिक जीत से कम नहीं है, क्योंकि खुद वॉशिंगटन ने अपने सबसे करीबी साझेदारों को अपमानित किया है, उनमें अविश्वास पैदा किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप ऐसा अपने घरेलू राजनीति के लिए कर रहे हैं, लेकिन इसका असर अमेरिका की विदेश नीति और एशिया में अमेरिका की पकड़ को कमजोर कर देंगे। ट्रंप ने भारत को पहला बड़ा झटका अप्रैल महीने में 25 फीसदी टैरिफ लगाकर दिया था। इसके बाद उन्होंने रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगा दिया, जिससे भारतीय सामानों पर कुल अमेरिकी टैरिफ बढ़कर 50 फीसदी हो गया है, जिसने भारत और अमेरिका के रिश्ते की बुनियाद हिला दिया है।
ट्रंप की अपमानजनक बयानबाजी और उग्र टैरिफ का नतीजा ये हुआ है कि भारत ने अमेरिकी 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट एफ-35 खरीदने से इनकार कर दिया है, अमेरिका से कई डिफेंस प्रोजेक्ट रोकने के संकेत दिए हैं और चीन के साथ रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया हैं। जाहिर तौर पर इससे अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी पर सीधा असर पड़ा है।
वहीं दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से जापान अमेरिकी छतरी के नीचे रहा है। जापान की सुरक्षा अमेरिका पर निर्भर है और अमेरिका की एशिया पॉलिसी में जापान हमेशा से शीर्ष पर रहा है, लेकिन ट्रंप के टैरिफ ने जापान की अर्थव्यवस्था को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। ट्रंप ने 22 जुलाई को जापान पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी और 15 फीसदी टैरिफ लगाया है, जबकि अभी तक जापानी सामानों पर अमेरिका में कोई टैरिफ नहीं था। जापान की स्टील और कार इंडस्ट्री पर ट्रंप की टैरिफ का सीधा असर हुआ है। जबकि इसी जापान ने 2023 में अमेरिका में 780 अरब डॉलर का निवेश किया था, लेकिन ट्रंप के टैरिफ को जापान की सरकार धोखा मान रही है। जापान के पीएम शिगेरु इशिबा, जिन पर पहले से ही चीन को लेकर नरम रवैया अपनाने का आरोप लगता रहा है, वह देश को अमेरिकी टैरिफ से संभालने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए उन्होंने चीन के साथ रिश्तों को सामान्य करने के संकेत दे दिए हैं। जापान में पिछले दिनों करवाए गए सर्वे से पता चला है कि जापानी लोगों में अमेरिका को लेकर विश्वसनीयत तेजी से गिरी है।
सर्वे के मुताबिक सिर्फ 55 फीसदी जापानियों को ही अमेरिका पर विश्वास है, जबकि ट्रंप पर सिर्फ 38 फीसदी लोगों को विश्वास है। ट्रंप ने जापान पर अमेरिका में 550 अरब डॉलर का निवेश करने का जबरदस्त प्रेशर डाला है और जापान को ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे जापानियों में भारी आक्रोश है। इसके अलावा जापान को अपने कृषि बाजार को अमेरिका के लिए जबरदस्ती खोलना पड़ा है, जिससे देश की सरकार की काफी आलोचना हुई।
ट्रंप ने भारत और जापान के साथ जैसा सलूक किया है, उसका सीधा असर क्वाड पर होता दिख रहा है। नई दिल्ली में इस साल क्वाड शिखर सम्मेलन होना है, लेकिन अभी तक उसकी तारीख तय नहीं है, जबकि इस साल के खत्म होने में चार महीने बचे हैं। उम्मीद है कि क्वाड की बैठक को स्थगित कर दिया जाएगा। क्वाड की अगर बैठक होती है तो ट्रंप को दिल्ली आना होगा और मौजूदा परिस्थितियों में ऐसा होना अत्यंत मुश्किल है। इसके अलावा पीएम मोदी करीब सात सालों के बाद इसी महिने शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेने चीन जा रहे हैं। जापान भी चीन के साथ सीमित स्तर पर आर्थिक बातचीत आगे बढ़ा रहा है। इससे साफ है कि जब अमेरिका अपने सहयोगियों पर आर्थिक और रणनीतिक दबाव डाल रहा है, तब चीन उसका फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है और वह वैकल्पिक साझेदार बनने की कोशिश में जुट गया है। चीन ने अमेरिकी टैरिफ का मुकाबला करने के लिए भारत को साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया है, जाहिर तौर पर ट्रंप के टैरिफ के असर को कम करने के लिए भारत के पास भी ऑप्शन सीमित हैं। हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स को अभी भी क्वाड को लेकर पॉजिटिव उम्मीदें हैं और उनका मानना है कि चीन का खतरा वास्तविक है, इसे भारत और जापान काफी अच्छे से समझ रहे हैं, लेकिन सभी एक्सपर्ट इस बात पर सहमत हैं कि ट्रंप ने सहयोगी देशों में अमेरिका को लेकर विश्वास को चकनाचूर कर दिया है।

For Feedback - feedback@example.com
Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News