जल संचय-जन भागीदारी-जन आंदोलन’ कार्यक्रम में किए विचार साझा
Program: मध्यप्रदेश को देश की प्रमुख नदियों का स्रोत कहा जाता है, क्योंकि यहाँ से कई महत्वपूर्ण नदियाँ निकलती हैं जो अन्य राज्यों को भी लाभान्वित करती हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को गुजरात के सूरत में आयोजित ‘जल संचय-जन भागीदारी-जन आंदोलन’ कार्यक्रम में यह विचार साझा किए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जल संरक्षण और जल संग्रहण को बढ़ावा देना था।
महत्वपूर्ण बिंदु:
मध्यप्रदेश: प्रमुख नदियों का मायका:नर्मदा और ताप्ती नदियाँ मध्यप्रदेश से निकलकर गुजरात को जल प्रदान करती हैं।सोन नदी का उद्गम अमरकंटक में है, और यह बिहार में जाकर गंगा नदी में मिलती है।चंबल नदी राजस्थान को जीवन प्रदान करती है।नदी जोड़ो अभियान:मध्यप्रदेश में नदी जोड़ो अभियान के तहत दो प्रमुख परियोजनाओं पर कार्य हो रहा है:केन-बेतवा लिंक परियोजना (उत्तर प्रदेश के साथ)।चंबल-पार्वती-काली सिंध लिंक परियोजना (राजस्थान के साथ)।ये परियोजनाएँ जल्द पूरी होने की संभावना है, जिससे जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों को राहत मिलेगी।जल संरक्षण में जन भागीदारी:मध्यप्रदेश के करीब 3500 गांवों के 13 हजार लोगों ने मिलकर 10 हजार से ज्यादा पोखर, तालाब, कुएं, बावड़ी का जीर्णोद्धार किया है। यह जन भागीदारी जल संरक्षण के प्रति लोगों की जागरूकता और जिम्मेदारी को दर्शाता है। मध्यप्रदेश, अपनी नदियों और जल संरक्षण अभियानों के माध्यम से, न केवल अपने राज्य की बल्कि अन्य राज्यों की भी जल आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नदी जोड़ो अभियान और जल संरक्षण में जन भागीदारी जैसे प्रयास जल संकट से निपटने के लिए कारगर साबित हो रहे हैं।
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