नई दिल्ली : मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी हो चुकीं बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने शनिवार को बड़ा दावा करते हुए कहा कि जांच एजेंसियों ने उन्हें पूछताछ के दौरान टॉर्चर किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई लोगों का नाम लेने का दबाव बनाया। मुंबई की सेशंस कोर्ट में जमानती औपचारिकता पूरी करने पहुंचीं साध्वी ने मीडिया से बातचीत में यह बात कही।
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि उनसे जबरदस्ती प्रधानमंत्री मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, इंद्रेश कुमार और राम माधव जैसे नेताओं का नाम लेने को कहा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुझे धमकी दी गई कि अगर मैंने ये नाम नहीं लिए तो मुझे टॉर्चर किया जाएगा। लेकिन मैंने झूठ बोलने से इनकार कर दिया।
कोर्ट में नहीं मानी गई टॉर्चर की बात
हालांकि, विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश एके लाहोटी ने अपने 1036 पन्नों के फैसले में साध्वी के टॉर्चर के आरोपों को खारिज किया है। कोर्ट ने कहा कि उनके पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उन्हें अवैध हिरासत में रखा गया या टॉर्चर किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2011 में उनके आरोपों को खारिज कर दिया था।
महाराष्ट्र एटीएस पर लगाए थे आरोप
साध्वी ने उस समय के महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, एसीपी परमबीर सिंह और अधिकारी सुखविंदर सिंह पर झूठे आरोप लगाने और टॉर्चर करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा था कि इन लोगों ने बहुत कोशिश की कि मैं झूठ बोलूं, लेकिन मैंने नहीं बोला। यह सनातन धर्म और हिंदुत्व की जीत है।
2008 के ब्लास्ट केस में सबूत नहीं मिले
गौरतलब है कि मालेगांव के नासिक जिले में 29 सितंबर 2008 को हुए धमाके में छह लोगों की मौत और 101 लोग घायल हुए थे। लेकिन एनआईए की विशेष अदालत ने 31 जुलाई को प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित और पांच अन्य को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा।