10 वर्ष बाद फिर एक बार हुआ कांग्रेस का जिले में सफाया
Political News – बैतूल – 2013 में पहली बार किसी राजनैतिक दल ने जिले की सभी विधानसभा सीटों पर कब्जा किया था। इस चुनाव में जिले की पांच सीटों पर भाजपा के हेमंत खण्डेलवाल, चंद्रशेखर देशमुख, महेंद्र सिंह चौहान, चैतराम मानेकर और सज्जन सिंह उइके चुनाव जीते थी। एक बार फिर 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यह रिकार्ड दोहराया है और जिले की पांचों सीटों पर हेमंत खण्डेलवाल, चंद्रशेखर देशमुख, महेंद्र सिंह चौहान, डॉ. योगेश पंडाग्रे एवं गंगा सज्जनसिंह उइके चुनाव जीत गई।
राजनैतिक पंडित यह मानकर चल रहे थे कि पांच में से तीन सीट कांग्रेस या भाजपा को और दो सीट भाजपा या कांग्रेस को मिल सकती है। बैतूल और मुलताई सीट पर जिस तरह से कांग्रेस के दिग्गज और आर्थिक रूप से सक्षम उम्मीदवार निलय डागा और सुखदेव पांसे चुनाव लड़ रहे थे उससे यह माना जा रहा था कि यह दो सीट तो कांग्रेस की तय है, क्योंकि 2018 के चुनाव में भी यह दोनों बड़े अंतर से चुनाव जीते थे।
वहीं भैंसदेही सीट से धरमूसिंह को भी जीता हुआ मान रहे थे क्योंकि यहां भाजपा के दो बागी मैदान में उतर गए थे लेकिन चुनाव परिणामों ने सभी मुगालते दूर कर दिए और पांचों सीटों पर कमल खिला दिया।
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राजनैतिक समीक्षकों का यह मानना है कि एक तरफ कांग्रेस का बिखरा-बिखरा चुनाव प्रचार कांग्रेस उम्मीदवारों पर भारी पड़ गया वहीं किसी भी विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर के स्टार प्रचारक की कमी भी उम्मीदवारों और उनके समर्थकों को महसूस भी हुई और उसका नुकसान भी हुआ। इसके अलावा सभी पांचों उम्मीदवार अपने व्यक्तिगत संपर्कों और साधनों के भरोसे चुनाव लड़े और निजी सेना के भरोसे चुनावी वैतरणी पार करने का प्रयास करते रहे। लेकिन सफल नहीं हुए।
इसी तरह से पांचों ही सीटों पर व्यवस्था अनुसार कांग्रेस के कई दिग्गज और छुटभैय्ये ताकत से भीतरघात में भी लगे रहे। एक ही कांग्रेस कार्यकर्ता जिले की एक ही सीट पर कमल चला रहा था तो दूसरी पर पंजा। कहीं-कहीं तो ऐसा हुआ कि एक सीट पर पंजा तो दूसरी पर शंख और जयस के भी लिए प्रचार करते हुए दिखाई दिया। कहीं तो कांगे्रसियों की हार से कुछ कांग्रेस के दिग्गज अपनी खुशी छिपाते नहीं दिखे।
एकमात्र स्टार प्रचारक के रूप में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े का आमला विधानसभा में आमसभा का कार्यक्रम एक दिन पहले निरस्त हो गया जिससे भी आमला-मुलताई प्रत्याशियों को नुकसान होने से इंकार नहीं किया जा सकता। प्रदेश स्तर के स्टार प्रचारकों में भी कमलनाथ सिर्फ घोड़ाडोंगरी विधानसभा तक सीमित रहे और उन्होंने शाहपुर में एकमात्र आमसभा को संबोधित करने के दौरान मंच पर ही कांग्रेस के प्रदेश स्तर के और जिला स्तर के दिग्गज नेताओं को इतना चमकाया कि उसका असर भी खत्म हो गया और लोग यह चर्चा करते रहे कि किसको जिताए और किसको निपटाए।
इसके विपरीत भाजपा में संगठन की मजबूती के अलावा विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित नरेंद्र मोदी की चुनाव प्रचार के अंतिम दिन के एक दिवस पूर्व हुई विशाल आमसभा ने भाजपा के पांचों प्रत्याशियों के लिए संजीवनी बूटी का काम किया और भाजपा की बल्ले-बल्ले हो गई।
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