
लोकसभा, विधानसभा, सहकारिता, नपा सभी जगह मिले अवसर
Political News – बैतूल – सांध्य दैनिक खबरवाणी ने इसके पूर्व भी जिले के 70 वर्ष के राजनैतिक इतिहास की कई ऐसी जानकारी पाठकों से सांझा की थी जिसका नयी पीढ़ी को बिल्कुल भी भान नहीं था। इसी कड़ी में पुन: जिले की राजनैतिक गतिविधियों के कई और दूसरे विषयों पर राजनैतिक समीक्षा प्रस्तुत है।
आज हम जिले में आज तक लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय, सहकारिता, पंचायत, मंडी के हुए चुनाव में वकीलों की भागीदारी पर बात करेंगे। इन सभी चुनावों को विस्तत दृष्टिकोण से देखे तो कानून की पढ़ाई कर राजनीति में आकर सफल होने वालों की एक बड़ी लिस्ट है।
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- सबसे पहले शुरूआत आरडी खंडेलवाल से करेंगे। स्व. रामदयाल खंडेलवाल अपने समय के सफल वकीलों में गिने जाते थे। श्री खंडेलवाल 1942 में बैतूल नगर पालिका के अध्यक्ष बने थे। उसके बाद 1952 में विधानसभा चुनाव में सफल नहीं हो पाए।
लेकिन स्व. आरडी खंडेलवाल के पुत्र विजय खंडेलवाल आयकर सलाहकार (वकील) होने के साथ -साथ सफल राजनीतिज्ञ भी साबित हुए। 1978 में बैतूल नगर पालिका अध्यक्ष बनने के बाद जिला सहकारी भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष, जिला भाजपा अध्यक्ष और उसके बाद 1996, 1998, 1999 और 2004 में सांसद निर्वाचित हुए।
- इसके बाद स्व. आरडी खंडेलवाल के छोटे भाई स्व. जीड़ी खंडेलवाल जो अच्छे और बड़े वकील माने जाते थे। राजनीति में आए फिर 1962 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। फिर 1967 में बैतूल विधानसभा सीट से विधायक बनते ही मप्र सरकार में मंत्री भी बने लेकिन फिर 1972 में चुनाव हार गए।
- 1967 में पहली बार देश के प्रसिद्ध आयकर सलाहकार एवं चार्टेड एकाउंटेंट स्व. एनकेपी साल्वे को कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव लड़ाया, वो जीते और 1971 में फिर संासद बने लेकिन 1977 के चुनाव में हार गए, बाद में वे केंद्रीय मंत्री रहे। और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी बने।
- भोपाल निवासी स्व. आरिफ बैग जो वकील भी थे ने 1989 में बैतूल सीट से लोकसभा चुनाव भाजपा की तरफ से लड़े और जीते लेकिन 1991 चुनाव में हार गए, वे केंद्र में मंत्री भी रहे।
- वकालत के क्षेत्र में 67 वर्ष की लंबी और सफल पारी खेल चुके राधाकृष्ण गर्ग राजनीती में सक्रिय रहे। 1960 से बैतूल नगर पालिका के उपाध्यक्ष निर्वाचित होकर सक्रिय राजनीति में आए। उसके बाद 1972 में मुलताई विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बने और विधानसभा की कई प्रमुख समितियों के सदस्य बने। बाद में सागर विश्वविद्यालय की लॉ फैकल्टी के डीन रहे।
इसी दौर में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बैतूल के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए। 1978 में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, इसके बाद प्रदेश कांग्रेस प्रतिनिधि, एआईसीसी प्रतिनिधि के अलावा मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष के रूप में कई जिलों के प्रभारी रहे। इसके अलावा 12 देशों की अध्ययन यात्रा में भी गए। 94 वर्ष की आयु में आज भी वकालत के प्रोफेशन में सक्रिय हैं।
- एक और वकील रामचरित्र मिश्रा कांग्रेस के विरोध में राजनीति करते रहे। पहले जनसंघ और फिर उसी की पार्टी भाजपा में रहकर पार्टी संगठन में खूब काम किया। भाजपा जिलाध्यक्ष भी बने पर 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर बैतूल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने पर सफल नहीं हो पाए। लेकिन अभी तक हर चुनावों में निष्ठा से पार्टी उम्मीदवार के लिए सक्रिय रहे।
- पंजाबराव महस्की भी ऐसा ही एक नाम था जो जनसंघ फिर भाजपा की राजनीति में सक्रिय रहे। पार्टी के जिला संगठन में कई पदों पर काम किया। 1985 में पार्टी ने बैतूल विधानसभा सीट से मैदान में उतारा पर सफल नहीं हुए। लेकिन वकालत में इनका अपना स्थान था। स्व. पंजाबराव महस्की के भाई एवं वकील मधुकर महस्की भी राजनीति में सक्रिय रहे। नागरिक सहकारी बैंक बैतूल के अध्यक्ष रहे और भाजपा संगठन में भी काम किया।
- वकीलों में एक नाम स्व. गुरुबक्श अतुलकर का भी है जो वकालत में तो ज्यादा सफल नहीं हुए लेकिन राजनीति में अपना डंका बजाने में सबको पीछे छोड़ दिया। 1977 में पहली बार कांग्रेस की टिकिट पर आमला विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद 1980 में फिर जीते। इसके बाद कांग्रेस ने 1993 में टिकिट दी और तीसरी बार विधायक बने। जिला सहकारी भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष के साथ- साथ जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर भी रहे।
- राजीव खंडेलवाल वकील भी राजनीति में सक्रिय रहे गैर कांग्रेसी राजनीति में काम करते हुए नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष रहे। नागरिक सहकारी बैंक के अध्यक्ष पद पर भी निर्वाचित हुए। राजीव खंडेलवाल ने राजनैतिक समीक्षक के रूप में किताबें भी लिखी है। उनके पुत्र एवं आयकर सलाहकार (वकील) योगी खंडेलवाल भी धीरे-धीरे राजनीति में पैर जमा रहे हैं। विदेश से अध्ययन कर आए योगी अभी भारतीय जनता युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति में सदस्य है।
- इन नामों के अलावा और भी कई वकील जिले की राजनीति में सक्रिय रहे है। इनमें पृथ्वीनाथ भार्गव (मुलताई) जनसंघ की टिकिट पर 1972 में मुलताई से चुनाव लड़े लेकिन सफल नहीं हुए। रवि यादव वकील मुलताई नगर पंचायत के अध्यक्ष रहे। मोरखा (मुलताई) के ही कल्लू सिंह रघुवंशी सक्रिय वकील जिला पंचायत सदस्य रहे। आमला के सुंदरलाल वाईकर को कांग्रेस ने 1990 में आमला से विधानसभा चुनाव में उतारा था लेकिन वे सफल नहीं हुए।
- अपने समय के सफल वकील रहे स्व. बल्ला भाऊ 1967 में जनसंघ की टिकिट पर मुलताई से विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन जितने सफल वकालत में रहे उतने सफल राजनीति में नही हो पाए। इस तरह से जिले की राजनीति में अन्य प्रोफेशन की तुलना में वकीलों का जलवा ज्यादा रहा। बनीस्बत इंजीनियर्स और डॉक्टर्स की तुलना में।
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