
भाजपा में दूसरी बार सुनाई दिया विद्रोह का स्वर
Political News – बैतूल – राजनैतिक दलों की संगठनात्मक संरचना में जिला स्तर पर जिला अध्यक्ष का पद सबसे बड़ा होता है। अभी तक देखने में आया है कि जहां कांग्रेस में सत्ता के दौरान जिलाध्यक्ष से जिला स्तर पर किसी भी नियुक्ति के लिए विशेष रूप से पूछा नहीं जाता है वहीं भाजपा में संगठन को पूरा महत्व दिया जाता है। भाजपा में सत्ता की स्थिति में छोटी से बड़ी हर नियुक्ति में जिला अध्यक्ष के साथ-साथ जिला प्रबंध समिति की लिखित सहमति ली जाती है और इस जिला प्रबंध समिति में अध्यक्ष के अलावा जिले के तीनों महामंत्री शामिल रहते हैं।
भाजपा में अध्यक्ष के बाद सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली पद महामंत्री का होता है। और इस पद पर आसीन होने के लिए भाजपा की सेकेंड लाइन के नेता हमेशा लालायित रहते है। लेकिन एक रोचक तथ्य यह है कि भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने जिस भी आदिवासी नेता को जिला महामंत्री बनाया है वो सभी विद्रोह कर चुके हैं।
दबाव की राजनीति हुई शुरू | Political News
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव निकट आ रहे हैं वैसे-वैसे अपनी पार्टी से कई नेता अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा पूरी नहीं होने से निष्ठा बदलने में भी देर नहीं लगाते हैं। ऐसा ही कुछ भाजपा में हो रहा है। मुलताई और भैंसदेही विधानसभा सीट पर भाजपा ने नया प्रयोग करते हुए चुनाव के तीन माह पहले ही उम्मीदवार की घोषणा कर दी है।
इसी के चलते टिकट ना मिलने के कारण कई दावेदार, कहीं विद्रोह तो कहीं दबाव की राजनीति करते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसे ही एक नेता ने टिकट नहीं बदलने की स्थिति में निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर दिया है।
2018 में श्रीराम भलावी ने छोड़ी थी पार्टी

1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद जिला भाजपा में पहली बार जिला संगठन में भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र के आदिवासी नेता के रूप में 2016 में श्रीराम भलावी को जिला महामंत्री बनाया गया था। उस समय वरिष्ठ नेता जितेन्द्र कपूर जिला भाजपा अध्यक्ष थे।
2018 के विधानसभा चुनाव में भैंसदेही विधानसभा सीट से भाजपा से टिकट नहीं मिलने के कारण श्रीराम भलावी ने भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। लेकिन कांग्रेस में आकर उनकी स्थिति और कमजोर हो गई है और वह वर्तमान में एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह दिखाई दे रहे हैं। और 2023 के विधानसभा चुनाव में भैंसदेही क्षेत्र से विधायक धरमूसिंह को कांग्रेस की टिकट मिलने के लिए पुन: हरी झंडी मिल गई है इस तरह से श्रीराम भलावी को कांग्रेस से टिकट मिलने की संभावना खत्म हो गई है।
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राहुल को मिला था भाजपा में महामंत्री पद | Political News

2014 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले दामजीपुरा क्षेत्र के कांग्रेस के पूर्व विधायक सतीष चौहान के पुत्र राहुल चौहान को बैतूल-हरदा-हरसूद संसदीय सीट से कांग्रेस की टिकट दे दी थी और राहुल चौहान ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। ऐन वक्त पर कांग्रेस हाईकमान ने पार्टी के चुनाव चिन्ह का बीफार्म एक पूर्व बैंक अधिकारी अजय शाह के नाम जारी कर दिया था और अजय शाह कांग्रेस के उम्मीदवार हो गए थे। लेकिन राहुल चौहान कांग्रेस में बने रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल चौहान को यह आशा बनी कि कांग्रेस पार्टी इस बार उन्हें उम्मीदवार बनाएगी। लेकिन भोपाल में निवास कर रहे रामू टेकाम टिकट ले आए।
राहुल चौहान को यह आभास हो गया कि अब कांग्रेस में उनका कोई भविष्य नहीं है और लोकसभा चुनाव के बाद राहुल भाजपा में शामिल हो गए। किस्मत के धनी राहुल को भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी ने पार्टी में शामिल होने के कुछ दिनों बाद ही 2020 में जिला महामंत्री के जिम्मेदार पद पर मनोनीत कर दिया। जबकि वर्षों से राजनीति कर रहे कई नेता इस पद की आस लगाए बैठे हुए हैं।
राहुल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा
अब 2023 में भैंसदेही विधानसभा सीट से महेंद्र सिंह चौहान को भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने से राहुल की यह आस भी खत्म हो गई कि उन्हें भैंसदेही भाजपा प्रत्याशी बनाएगी। इसी के चलते उन्होंने कल अपने गृह ग्राम दामजीपुरा में अपने समर्थकों की बैठक बुलाकर यह घोषणा कर दी कि यदि भाजपा ने प्रत्याशी नहीं बदला तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। वहीं भाजपा हाईकमान तय कर चुका है कि प्रदेश में घोषित 39 प्रत्याशियों में से कोई भी नहीं बदला जाएगा। इसका तात्पर्य यह है कि यदि राहुल चौहान अपनी बात पर अटल रहे तो वो भी भाजपा से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।