Political News – टिकट और संगठन में पद के लिए भोपाल की परिक्रमा चालू

By
Last updated:
Follow Us

Political Newsबैतूल जैसे-जैसे प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीख पास आ रही है वैसे-वैसे दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस में टिकट के दावेदार अपने को सबसे मजबूत उम्मीदवार जताने के लिए कोई जतन नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन एक तरफ जहां भाजपा संगठन की ताकत को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाकर चुनाव रण में तैयार दिखाई दे रहा है।

वहीं कांग्रेस में अभी भी संगठन में पद की लड़ाई गुटबाजी का रूप लेकर स्पष्ट दिखाई दे रही है। राजनैतिक समीक्षकों का मानना है कि यह गुटबाजी यदि आगे भी बरकरार रही तो इसका फायदा सिर्फ और सिर्फ भाजपा को मिलना तय है।

भाजपा में हैं ये दावेदार 

सबसे पहले भाजपा की बात करें तो यहां संगठन में कोई विवाद नहीं है। और जो प्रदेश हाईकमान का निर्देश आता है वह सभी को मान्य रहता है। भाजपा में चुनावी तैयारी को लेकर संगठन में मंडल, पन्ना एवं बूथ स्तर पर बैठकों का दौर निरंतर चल रहा है। लेकिन पांचों विधानसभा के लिए टिकटों के दावेदारों की संख्या भी कम नहीं है। बैतूल विधानसभा सीट से जहां सबसे मजबूत दावा हेमंत खण्डेलवाल का दिखाई दे रहा है वहीं अलकेश आर्य भी लोप्रोफाइल में रहकर अपने दावेदारी बताने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।

वहीं आमला विधानसभा सीट से सीटिंग एमएलए डॉ. योगेश पंडाग्रे की टिकट पुन: फायनल मानी जा रही है। लेकिन घोड़ाडोंगरी और भैंसदेही आरक्षित विधानसभा सीटों पर भाजपा के कई दावेदार खम ठोंक रहे हैं।

घोड़ाडोंगरी से गंगाबाई उइके, दीपक उइके, मंगलसिंह धुर्वे, वहीं भैंसदेही विधानसभा सीट से पूर्व विधायक महेंद्र सिंह चौहान, जिला महामंत्री राहुल चौहान और चौहान हास्पीटल के संचालक डॉ. महेंद्र सिंह चौहान लाइन में खड़े हैं।

इसी तरह से सर्वाधिक दावेदार मुलताई में दिखाई दे रहे हैं जिनमें पूर्व विधायक चंद्रशेखर देशमुख का दावा सबसे मजबूत बताया जा रहा है। इनके अलावा हेमंतराव देशमुख, भास्कर मगरदे, सुभाष देशमुख, उत्तमराव गायकवाड़, नरेश फाटे, राजू अनुराग पंवार भी अपनी सक्रियता के माध्यम से पार्टी को प्रभावित करने के प्रयास में लगे हुए हैं।

कांग्रेस में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त 

अब कांग्रेस की बात करें तो यहां तीन सीटों पर सीधे-सीधे सीटिंग एमएलए की टिकट लगभग तय है। इनमें बैतूल से निलय डागा, मुलताई से सुखदेव पांसे एवं भैंसदेही से धरमूसिंह ने तो चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार घोड़ाडोंगरी कांग्रेस विधायक ब्रम्हा भलावी के अलावा राहुल उइके और डॉ. रमेश काकोडिय़ा पर भी विचार किया जा रहा है। लेकिन आमला विधानसभा सीट से दावेदारों की लंबी लाइन है। इनमें मनोज मालवे, मोनिका निरापुर, सीमा अतुलकर, महेंद्र भारती लंबे समय से सक्रिय हैं। लेकिन जिस तरह से डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने इस क्षेत्र में अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज की है उससे यह माना जा रहा है कि कांग्रेस से उनकी डील फायनल है। और मैदान में उनका उतरना लगभग तय है।

कांग्रेस संगठन में अभी भी है मारामारी | Political News

जब से जिले में कांग्रेस संगठन ने दो जिलाध्यक्ष बना दिए हैं तब से संगठनात्मक स्तर पर गुटबाजी और विवाद बढ़ गया है। जो बड़े नेताओं के प्रयासों के बाद भी थमता नहीं दिख रहा है। जैसे ही सुनील शर्मा को जिला कांग्रेस शहर और हेमंत वागद्रे को जिला कांग्रेस ग्रामीण का अध्यक्ष बनाया गया वैसे ही कांग्रेस में राजनैतिक समीकरण बदलने लगे।

इस दौर में सुनील शर्मा बैतूल विधायक निलय डागा से छिटके हुए दिखाई दिए तो हेमंत वागद्रे सुखदेव पांसे और निलय डागा में बैलेंस बनाते हुए दोनों के विश्वासपात्र बन गए। कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक बार फिर गुटीय समीकरण बदल गए हैं। जहां सुनील शर्मा विधायक निलय डागा और विधायक धरमूसिंह के साथ अपनी ट्यूनिंग बैठा लिए हैं तो हेमंत वागद्रे फिर एक बार निलय डागा से दूरी बनाते हुए पुन: पांसे समूह के साथ सक्रिय हो रहे हैं।

पद और टिकट के लिए कांग्रेस में परिक्रमा चालू | Political News

पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस संगठन में जिला स्तर पर विभिन्न मोर्चों में कार्यवाहक अध्यक्ष बनाने की परंपरा चालू हुई है। कांग्रेस के अलग-अलग गुट अपने समर्थकों को विभिन्न मोर्चा संगठनों में नियुक्ति पत्र लाकर दे रहे हैं। हाल ही में युवक कांग्रेस मेें जिले के तीन युवा नेता प्रदेश स्तर का पद पा चुके हैं तो किसान कांग्रेस में कल ही नए अध्यक्ष की नियुक्ति हुई है। इसके अलावा जिला कांगे्रस के दोनों अध्यक्षों में अपने-अपने कार्यक्षेत्र को लेकर समीकरण नहीं बैठ रहे हैं।

एक गुट जहां सुनील शर्मा को मात्र बैतूल शहर का कांग्रेस अध्यक्ष बता रहा है तो दूसरा गुट अपने आप को पूर्वत: जिले की हर नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत संगठन अध्यक्ष मान रहा है। मिली जानकारी के अनुसार दोनों ही गुट भोपाल का दौरा कर आए हैं और प्रदेश कांग्रेस आगामी चुनाव को देखते हुए दोनों ही गुट को अपने-अपने स्तर पर एक रहकर पार्टी मजबूत करने के लिए निर्देश दे चुके हैं। राजनैतिक समीक्षकों का ऐसा मानना है कि कांग्रेस में गुटबाजी ऐसा रोग बन गई है कि हाईकमान के यह निर्देश भोपाल से बैतूल आते-आते कमजोर पड़ जाते हैं।

Leave a Comment