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Political News – निलय और हेमंत में बने नए समीकरण , विरोधी चिंतित

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राजनीति में ना कोई स्थायी दोस्त ना स्थायी दुश्मन

बैतूल – Political News – जैसे-जैसे मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव पास आ रहे हैं वैसे-वैसे जिले में कांग्रेस की गुटीय राजनीति में रोज नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। वर्षों तक जिले की कांग्रेस मेें आमने-सामने रहकर पार्टी में एक-दूसरे का विरोध किया है उनमें से कई आज गलबाहियां करते हुए दिखाई दे रहे हैं। और इन सबको देखते हुए राजनैतिक समीक्षकों का कहना है कि चुनाव आते-आते फिर कई नए समीकरण बनेंगे और टिकट बंटने के बाद तो और भी ऐसे समीकरण बनेंगे जिसके लिए कांग्रेस के साधारण कार्यकर्ताओं ने सोचा भी नहीं होगा। वैसे भी राजनीति के लिए यह कटू सत्य है कि इसमें न कोई किसी का स्थायी दोस्त होता है और ना ही कोई स्थाई दुश्मन, सिर्फ व्यक्तिगत स्वार्थ और हित पर ही बनते हैं रिश्ते और बिगड़ते है रिश्ते।

विधायक और ग्रामीण अध्यक्ष अभी तो साथ हैं | Political News

2013 के विधानसभा चुनाव में बैतूल विधानसभा सीट से कांगे्रस की टिकट पर हेमंत वागद्रे चुनाव लड़े थे लेकिन असफलता हाथ लगी। उसके बाद श्री वागद्रे ने बैतूल के कांग्रेस के दूसरे गुट के खिलाफ भीतरघात की कई शिकायतें करी लेकिन इस पर कोई कार्यवाही होती तब तक 5 साल बीत गए और 2018 के विधानसभा चुनाव आ गए। इस बाद हेमंत के स्थान पर कांग्रेस ने निलय डागा को चुनाव मैदान में उतारा। और वो चुनाव जीत गए। उस समय भी कांग्रेस में यह चर्चा रही कि निलय डागा को चुनाव में निपटाने के लिए दूसरे गुट ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन डागा समूह का मैनेजमेंट इस सेबोटेजिंग पर भारी पड़ा और वह बड़े अंतर से चुनाव जीत गए। उसके बाद लंबे समय तक बैतूल क्षेत्र में हेमंत वागद्रे और निलय डागा पार्टी में एक-दूसरे से दूरी बनाकर रहे। लेकिन जैसे ही हेमंत वागद्रे जिला कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष बने वैसे ही उन्होंने दूरियां खत्म करते हुए निलय डागा के साथ अपने संबंध मधुर कर लिए। और साथ में दिखाई देने लगे।

सुनील शर्मा ने बनाई सभी से दुरियां | Political News

कमलनाथ के कट्टर समर्थक माने जाने वाले पिछले पांच वर्षों से जिला कांगे्रस के पूर्ण अध्यक्ष रहते हुए सुनील शर्मा ने अध्यक्ष बनने के तत्काल बाद पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे के साथ कांग्रेस की गुटीय राजनीति में अपनी सक्रियता बनाई। लेकिन धीरे-धीरे श्री पांसे से मतभेद बढ़े और सुनील शर्मा विधायक निलय डागा के साथ जुड़ते गए। इसी दौर में श्री पांसे ने भी यह प्रयास किए सुनील शर्मा के स्थान पर अध्यक्ष पद पर किसी नए व्यक्ति को मनोनीत करे। और इसी दौर में विधायक निलय डागा भी खुलकर सुनील शर्मा के साथ नहीं दिखाई दिए। इसका परिणाम यह हुआ कि सुनील शर्मा के अधिकार क्षेत्र में 50 प्रतिशत कटौती करते हुए जिले में पहली बार दो कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त कर दिए। यही समय था कि अब सुनील शर्मा एकला चलो की राह पर दे रहे हैं। और उनके साथ कांग्रेस के कुछ वे नेता भी जुड़े हुए हैं जो पहले स्व. डॉ. अशोक साबले या डॉ. राजेंद्र देशमुख के साथ राजनीति कर चुके हैं। सुनील शर्मा भी बैतूल विधानसभा से कांग्रेस की टिकट के एक दावेदार बताए जा रहे हैं लेकिन चुनाव तक सुनील शर्मा किसी नए समीकरण के जुगाड़ मेंं रहेंगे यह भी तय है।

पांसे समर्थक करते हैं गुटीय समीकरण प्रभावित | Political News

मुलताई विधायक और पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे का यह प्रयास रहता है कि जिला स्तर पर कांग्रेस में कितनी भी गुटबाजी हो। इसका असर मुलताई क्षेत्र में ना पड़े। और वर्षों से ऐसा ही हो रहा है। यही कारण है कि मुलताई विधानसभा सीट से पिछले कई चुनाव से कांग्रेस में सुखदेव पांसे के अलावा कोई और सशक्त दावेदार दावा नहीं कर रहा है। सुखदेव पांसे के जिला मुख्यालय के समर्थक वैसे तो अभी शांत दिखाई दे रहे हैं लेकिन मौका आने पर बैतूल विधायक के खिलाफ चौका मारने से पीछे नहीं रहते हैं। पंासे समर्थक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरूण गोठी बैतूल विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट के लिए अपनी इच्छा कई बार सार्वजनिक कर चुके हैं और विधानसभा क्षेत्र में घूम भी रहे हैं। जबकि सुखदेव पांसे और निलय डागा दोनों हर जगह यह जाहिर करने में पीछे नहीं हटते हैं कि हम साथ-साथ हैं। यदि वास्तव में ऐसा होता तो अरूण गोठी बैतूल से दावा नहीं करते।

टिकट घोषित होने पर फिर बदलेंगे समीकरण | Political News

कांग्रेस में यह तो तय है कि जैसे ही जिले की पांचों विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित होंगे वैसे ही कांग्रेस के तीनों गुटों के नेता अपनी गुटीय वफ ादारी बदलने में देर नहीं करेंगे। चाहे भैंसदेही, आमला, या फिर घोड़ाडोंगरी क्षेत्र ही क्यों ना हो? हर जगह कांग्रेस टिकट के दावेदार और उनके समर्थक अभी तो शांत दिखाई दे रहे हैं लेकिन टिकट घोषित होने के बाद अपने या अपने नेता को टिकट ना मिलने की स्थिति में कुछ मुंह फूला लेंगे, कुछ भीतरघात करेंगे और कुछ पार्टी छोड़ सकते हैं। जैसा की हर चुनाव के दौरान होता आया है।

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