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बैतूल:- गंज में सुबह 7:30 बजे से दारू के नशे में झुमने लगते हैं लोग, शिवसेना ने लाइसेंस निरस्त करने की मांग की

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बैतूल:- शिवसेना ने गंज क्षेत्र में स्थित शराब दुकान का लाइसेंस निरस्त करने की मांग की है। जिला अध्यक्ष विजेंद्र कुमार गोले ने इस मुद्दे पर प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि जल्द ही ठेके को वहां से नहीं हटाया गया, तो शिवसेना उग्र आंदोलन करेगी। उन्होंने कहा कि गंज पूरी तरह से एक रहवासी इलाका है और वहां शराब दुकान का संचालन नियमों के खिलाफ है।
1. विजेंद्र गोले ने आरोप लगाया है कि गंज का शराब ठेकेदार सुबह 7:30 बजे ही दुकान खोल देता है, जबकि आबकारी नियमावली के तहत समय से पहले दुकान खोलना प्रतिबंधित है। उन्होंने कहा कि एक-दो बार जुर्माना करने के बाद भी यदि ठेकेदार नियम तोड़ता है तो प्रशासन को उसका लाइसेंस निरस्त कर देना चाहिए।
2. शिवसेना जिला अध्यक्ष विजेंद्र गोले ने इस संबंध में अपनी फेसबुक आईडी से दो से तीन बार सार्वजनिक पोस्ट कर प्रशासन को चेताया है। उन्होंने कहा कि सरकार एक ओर युवाओं को नशे से दूर रहने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर हर गली-मोहल्ले में शराब दुकानें खोलकर उन्हें नशे की लत में धकेल रही है। इससे आने वाली पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय हो रहा है।
गोले ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने अहाते पर बैन किया है, लेकिन बैतूल जिले में सभी दुकानों पर संचालित हो रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि सभी शराब ठेकों के संचालकों और उनके कर्मचारियों का पूरा बायोडाटा सार्वजनिक किया जाए।
3. उन्होंने कहा कि कई बार शराब ठेकों पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है जिससे लोगों की सुरक्षा को खतरा बना रहता है। इस कारण ठेकेदारों और उनके कर्मचारियों की पृष्ठभूमि सार्वजनिक की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति ठेकों के माध्यम से गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त न हो।
शिवसेना की इस मांग के समर्थन में जिला स्तर के तमाम पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भी मोर्चा खोल दिया है। शिवसेना के ग्रामीण जिला अध्यक्ष राजू चरपे, महिला नगर अध्यक्ष उषा अतुलकर, नगर उपाध्यक्ष छाया प्रजापति, आकाश चौबे, नवीन सोनी, युवराज तुमने, राहुल पुरवे, योगेश कावड़कर, तहसील संगठन प्रमुख शंकर मासोदकर, तहसील उपाध्यक्ष जगदीश पवार, गोलू मालवे, आकाश पाटिल, बंटी विश्वकर्मा सहित अन्य शिवसैनिकों ने प्रशासन से इस विषय पर शीघ्र निर्णय लेने की मांग की है। शिवसेना का कहना है कि यदि प्रशासन ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया तो संगठन उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा।

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