डॉली चायवाले पर भारी पड़ा पटना का बेरोजगार चायवाला! चाय के साथ देता है महत्वपूर्ण सन्देश

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डॉली चायवाले पर भारी पड़ा पटना का बेरोजगार चायवाला! चाय के साथ देता है महत्वपूर्ण सन्देश, अजीबोगरीब नामों से चलने वाले बिजनेस के बारे में आपने कई बार सुना होगा। आजकल तो हर किसी को “डोली चायवाला” की फेम के बारे में पता है। लेकिन इन दिनों राजधानी पटना में चर्चा का विषय बने हुए हैं “बेरोजगार चायवाला”। जहां भी देखो, वहां चाय पीने के लिए पहुंचते हैं लोग। चाय पीते हैं, साथ ही सुनते हैं खास संदेश। जी हां, चाय के साथ मिलता है एक खास संदेश, जो शायद शहर की किसी और चाय की दुकान पर आपको नहीं मिलेगा।

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कौन है बेरोजगार चायवाला?

यह कहानी है पटना शहर के रहने वाले और एक कॉलेज से स्नातक साहिल कुमार की। उन्होंने नौकरी ना मिलने की हताशा को एक अनोखे नाम “बेरोजगार चायवाला” के साथ चाय बेचने के बिजनेस में बदल दिया है। दरअसल, चाय बेचने से ज्यादा मकसद है समाज को एक संदेश देना। साहिल के छोटे भाई सूरज कुमार (24) उनके इस छोटे से बिजनेस में पार्टनर हैं और इसे वह “स्टार्टअप” बताते हैं। दिलचस्प बात ये है कि उनकी चाय की ठेली, शहर के बीचों बीच लोकप्रिय डाकबंगला चौराहे के पास सड़क किनारे लगी है, उसी रास्ते से हर रोज लाउडस्पीकर लगे प्रचार गाड़ियां गुजरती हैं, जो चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के वादों की बौछार करती हैं, जिनमें से एक वादा रोजगार भी होता है।

डॉली चायवाले पर भारी पड़ा पटना का बेरोजगार चायवाला! चाय के साथ देता है महत्वपूर्ण सन्देश

सूरज का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान नेता बड़े-बड़े वादे तो कर लेते हैं, लेकिन जब कुछ करने की बारी आती है, खासकर छात्रों के लिए, तो पीछे हट जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस बिजनेस का नाम उनके भाई साहिल ने रखा है, जो उनसे एक साल छोटे हैं। साहिल ने मिथ‍ापुर के एक कॉलेज से बी कॉम की डिग्री हासिल की है, जहां उनका परिवार रहता है। उनके परिवार में उनकी मां, जो गृहणी हैं और तीन भाई शामिल हैं। उनके पिता का कुछ साल पहले देहांत हो चुका है। सूरज आगे बताते हैं कि पढ़ाई करने और नौकरी के लिए कड़ी मेहनत करने के बावजूद हम सफल नहीं हो सके। कुछ अड़चनें रहीं। हम प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने में चूक गए। कड़ी मेहनत के बाद भी हमें ना तो सही अवसर मिले और ना ही उचित वेतन। इसलिए हमने समाज को यह दिखाने के लिए चाय की दुकान शुरू की कि शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद भी कोई व्यक्ति बेरोजगार हो सकता है।

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क्यों खोली चाय की दुकान?

“इसीलिए हमने ये ‘बेरोजगार चायवाला’ की चाय की दुकान खोली,” ये कहते हुए सूरज ग्राहकों को चाय की कप थमा रहे थे। उन्होंने बताया कि नौकरी न मिलने की वजह से उनके भाई ने “पूरी हताशा और गुस्से” में ये नाम चुना। “हमारे आस-पड़ोस के कई लोगों ने उनसे कहा कि अगर वो अपने बिजनेस के लिए ऐसा नाम रखेंगे, तो लोग उनका मजाक उड़ाएंगे। लेकिन वो दृढ़ थे और वो समाज को ये संदेश देना चाहते थे,” सूरज ने बताया। कुमार बंधुओं की कहानी पटना में भले ही अनोखी ना हो, लेकिन इसे करने की हिम्मत बहुत कम लोगों में होती है।

चाय की इस ठेले के सामने लगी एक पोस्टर चाय का काव्यात्मक वर्णन भी करती है, जो पढ़ने में कुछ यूं है: “ये चाय की मोहब्बत तुम क्या जानो, हर घूंट में ही नशा है।” साथ ही, चाय की दुकान पर ये भी लिखा हुआ है