नगरपालिका में आउटसोर्स नियुक्ति का खेल
सहकारी समिति के माध्यम से 27 कर्मचारियों की नियुक्ति, संख्या बढक़र 46 से 60 हो सकती है
सांध्य दैनिक खबरवाणी, बैतूल
वित्तीय अनियमितताएं और कुप्रबंधन के चलते बैतूल नगरपालिका परिषद की माली हालत दयनीय स्थिति में पहुंच चुकी है, ज्ञात हो कि माह जुलाई का वेतन कर्मचारियों को कल 25 अगस्त को प्राप्त हुआ है। इस खराब वित्तीय स्थिति में भी नगरपालिका सरकारी नियमों का हवाला देकर 46 से 60 कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से रखने जा रही है। जिसमें 27 कर्मचारियों को रखा भी जा चुका है, लेकिन यह 27 कर्मचारी कहां और क्या काम कर रहे हैं यह सिर्फ सीएमओ नगरपालिका और कुछ हद तक अध्यक्ष नगरपालिका को ही पता है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने आउटसोर्सिंग के लिए निविदा से बचने के लिए सहकारी समितियों को बिना निविदा के कर्मचारियों को रखने की अनुमति प्रदान की है, जिसका सहारा लेकर नगरपालिका बैतूल ने भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा संचालित सहकारी समिति को बिना टेंडर प्रक्रिया के आउटसोर्सिंग के माध्यम से कर्मचारियों को रखने की अनुमति दे दी है। इसमें हर वार्ड के पार्षद से एक नाम मांगा गया है, पर यह नाम सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों से मांगा गया है और कुछ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भी अपने परिजनों और निकटजनों को इस वैतरणी में पार लगाने में व्यस्त बताए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार जिन भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के निकटजनों को इसमें शामिल नहीं किया जा रहा वह नाराज बताए जा रहे हैं। इस संदर्भ में जब नगर पालिका परिषद अध्यक्ष श्रीमती पार्वतीबाई बारस्कर से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने हमेशा की तरह फोन रिसीव नहीं किया और यदि उनसे संपर्क हो भी जाता है तो उनका स्थायी जवाब होता है कि आप इस बारे में सीएमओ नगरपालिका से ंसपर्क कीजिये वही आपको जानकारी दे पाएंगे।
नगरपालिका ने शासन के नियम का फायदा उठाते हुए सीधे सहकारी समिति को आउटसोर्सिग की जिम्मेदारी सौंप दी। जबकि होना यह चाहिए था कि पहले सामान्य टेंडर प्रक्रिया होती और यदि प्रक्रिया में निविदाकर्ता भाग नहीं लेते तब सहकारी समिति को सीधे आउटसोर्सिंग की जिम्मेदारी दी जा सकती थी, लेकिन नगरपालिका ने इस पूरी प्रक्रिया को बायपास कर सीधे सहकारी समिति को अधिकृत कर दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सहकारी समिति से आउटसोर्सिंग कराने को लेकर नगरपालिका परिषद द्वारा न तो कोई निविदा न ही किसी तरह का प्रकाशन नगरपालिका कार्यालय अथवा समाचार पत्रों में किया गया, जिसके माध्यम से जिले की या जिले के बाहर की सहकारी समितियां नगरपालिका से संपर्क कर आउटसोर्सिंग के लिए अपना प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकती थी। जिस सहकारी समिति को यह आउटसोर्सिंग का काम दिया गया सिर्फ उस समिति द्वारा नगरपालिका को आउटसोर्सिंग के लिए आवेदन दिया गया था। अब प्रश्न यह उठता है कि जिस संस्था को यह काम दिया गया उसे अचानक सपने में यह कैसे पता चला कि नगरपालिका को 46 आउटसोर्स कर्मचारियों की आवश्यकता है। गुपचुप तरीके से इस आवेदन के आधार पर उक्त सहकारी समिति को यह जिम्मेदारी दी गई।
सूचना प्रौद्योगिकी सहकारी समिति मर्यादित बैतूल को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रश्न यह उठता है कि उक्त सहकारी समिति द्वारा क्या पूर्व में इस तरह की आउटसोर्सिंग का कोई अनुभव प्राप्त है और यदि नहीं तो क्या सिर्फ सहकारी समिति का होना उनकी पात्रता को पूर्ण करता है? यदि उन्हें इस तरह के कार्य का पूर्व में अनुभव नहीं है तो वह इस कार्य को किस आधार पर उचित तरीके से संपन्न कर पाएंगे और संपन्न नहीं कर पाने की स्थिति में समिति अथवा नगरपालिका परिषद इसमें से कौन जिम्मेदार होगा? अभी यह भी साफ नहीं हो पाया है कि जिन कर्मचारियों को रखा जाना है उनकी क्या पात्रता होगी और विभिन्न पात्रता के कर्मचारियों को किस किस विभाग में कौन कौन सी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। नगरपालिका के सूत्रों के अनुसार अलग-अलग शाखाओं में कुछ कर्मचारी रिटायर हो गए हैं और कुछ का देहावसान हो गया है इसलिए नए कर्मचारियों की आवश्यकता है, परंतु जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं वह हो सकता है वह राजस्व या स्थापना या अन्य शाखा में पदस्थ रहे हों और यदि नवनियुक्ति आउटसोर्स कर्मचारियो को उनके स्थान पर पदस्थ किया जाना है तो उस कार्य को संपन्न करने के लिए उनकी योग्यता को ध्यान में रखा जाना आवश्यक है, पर इसके लिए किसी तरह की कोई नियमावली नहीं बनाई गई है, सिर्फ इस बात का सहारा लिया जा रहा है कि शासन के आदेश के अनुसार सहकारी समिति को यह काम सौंपा जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार इन 46 (जो कि बढक़र 60 तक हो सकते हैं) कर्मचारियों के वेतन का वित्तीय भार नगरपालिका पर ही आएगा और इस सहकारी समिति को कुल वेतन का 10 प्रतिशत प्रतिमाह बतौर कमीशन के दिया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार जिले की अन्य नगरपरिषदों में भी इस तरह का प्रस्ताव शीघ्र पारित होगा पर शर्त यह है कि नगर परिषद का मुखिया भारतीय जनता पार्टी का होना चाहिए और सहकारी समिति भी भारतीय जनता पार्टी समर्थित व्यक्तियों द्वारा संचालित की जानी चाहिए।