Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

रूस-अमेरिका के बीच हो सकता है न्यूक्लियर वॉर

By
On:

नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त को एक बड़ा फैसला लिया है, जिसने दुनिया का ध्यान खींचा है। उन्होंने दो न्यूक्लियर पनडुब्बियों को लोगों को बचाने के लिए स्ट्रैजेजिक लोकेशन पर तैनात करने के लिए आदेश दिया है। यह कदम रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के बयानों के जवाब में उठाया गया है। ट्रंप ने कहा कि मेदवेदेव के उत्तेजक बयानों के बाद उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि ये पनडुब्बियां उचित क्षेत्रों में भेजी जा रही हैं, ताकि अगर मेदवेदेव के शब्दों में कोई गंभीर खतरा हो, तो अमेरिका तैयार रहे। जब पत्रकारों ने पूछा कि यह कदम क्यों, तो ट्रंप ने कहा कि हमें ऐसा करना पड़ा। हमें सावधान रहना होगा। रूस के पूर्व राष्ट्रपति ने धमकी दी, और हमें अपने लोगों की सुरक्षा करनी है।
रूस के सांसद वोडोलात्सकी ने कहा कि जिन दो अमेरिकी पनडुब्बियों को भेजा गया है, वे पहले से ही हमारे निशाने पर हैं। अब आवश्यकता इस बात की है कि अमेरिका और रूस के बीच एक ठोस समझौता हो, ताकि विश्व युद्ध- जैसी चर्चाएं बंद हों और पूरी दुनिया शांत हो सके। लेकिन ट्रंप ने यह साफ नहीं किया कि न्यूक्लियर पनडुब्बियां का मतलब क्या है- क्या ये पनडुब्बियां न्यूक्लियर ऊर्जा से चलती हैं या उनमें न्यूक्लियर मिसाइलें लगी हैं। आमतौर पर अमेरिकी सेना पनडुब्बियों की तैनाती और जगह के बारे में खुलकर नहीं बोलती, क्योंकि यह न्यूक्लियर डिटरेंस (परमाणु निवारण) का संवेदनशील हिस्सा है। अमेरिकी नौसेना और पेंटागन ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

ट्रंप और मेदवेदेव के बीच तनाव
पिछले कुछ दिनों से ट्रंप और मेदवेदेव के बीच तीखी नोक-झोंक चल रही है। ट्रंप ने रूस को चेतावनी दी थी कि अगर 8 अगस्त तक यूक्रेन में युद्धविराम नहीं होता, तो रूस और उसके तेल खरीदने वाले देशों पर भारी टैरिफ (कर) लगा दिए जाएंगे। यह समयसीमा अब सिर्फ 6 दिन दूर है। इस पर मेदवेदेव ने करारा जवाब दिया। 31 जुलाई को मेदवेदेव ने कहा कि ट्रंप को याद रखना चाहिए कि रूस के पास न्यूक्लियर हमले की क्षमता है।  मेदवेदेव ने यह भी कहा कि ट्रंप की हर नई चेतावनी रूस और अमेरिका के बीच युद्ध की ओर ले जा सकती है, न कि रूस और यूक्रेन के बीच।

रूस का रुख और पुतिन की बात
रूस ने ट्रंप की समयसीमा को मानने का कोई इरादा नहीं दिखाया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 1 अगस्त को कहा कि वे यूक्रेन के साथ शांति वार्ता की उम्मीद करते हैं, लेकिन युद्ध का रुख उनके पक्ष में है। उन्होंने ट्रंप की समयसीमा का जिक्र तक नहीं किया। पुतिन ने पहले भी शांति की बात कही है, लेकिन उनकी शर्तें यूक्रेन के लिए मंजूर नहीं हैं। ट्रंप, जो पहले पुतिन के साथ अच्छे रिश्तों का दावा करते थे, अब उनसे नाराज हैं। उन्होंने पुतिन पर नाटक करने का आरोप लगाया। रूस के यूक्रेन पर हाल के हमलों को घिनौना बताया। खासकर जब रूस ने कीव जैसे शहरों पर रॉकेट दागे, तब ट्रंप ने इसे अस्वीकार्य कहा।

यह विवाद कहां से शुरू हुआ
ट्रंप ने जुलाई में रूस को 50 दिन का समय दिया था कि वह यूक्रेन के साथ युद्धविराम करे, वरना सख्त टैरिफ लगाए जाएंगे। लेकिन जब रूस ने कोई कदम नहीं उठाया, तो उन्होंने समयसीमा घटाकर 10 दिन कर दी। यह कदम यूक्रेन युद्ध को रोकने के उनके वादे का हिस्सा है, जो उन्होंने चुनाव के दौरान किया था। लेकिन रूस के लगातार हमले और पुतिन की बेरुखी से ट्रंप नाराज हैं। मेदवेदेव ने ट्रंप के इस दबाव को नाटकीय बताया और कहा कि रूस को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इस बीच, मेदवेदेव ने न्यूक्लियर हथियारों का जिक्र करके तनाव बढ़ा दिया, जिसके जवाब में ट्रंप ने पनडुब्बियों को हिलाने का फैसला लिया।

क्या यह सच में न्यूक्लियर जंग की शुरुआत है?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम ज्यादा सैन्य कार्रवाई से ज्यादा एक शब्दों का युद्ध है। अमेरिका के पास पहले से ही न्यूक्लियर पनडुब्बियां तैनात हैं, जो रूस पर हमला कर सकती हैं। ट्रंप का यह बयान शायद रूस को डराने के लिए है, लेकिन इससे न्यूक्लियर जंग शुरू होने की संभावना कम है। फिर भी, इस तरह की बातें दुनिया के लिए चिंता का विषय हैं, क्योंकि अमेरिका और रूस के पास सबसे ज्यादा न्यूक्लियर हथियार हैं। कुछ लोग कहते हैं कि ट्रंप अपने वादे को पूरा करने के लिए दबाव बना रहे हैं, लेकिन दूसरों का मानना है कि यह रूस को गंभीरता से लेने का संकेत है। मेदवेदेव के पास खुद न्यूक्लियर हथियार चलाने की ताकत नहीं है, लेकिन उनके बयान पुतिन की नीतियों का हिस्सा हो सकते हैं।

भारत के लिए क्या मायने?
भारत भी इस मामले से प्रभावित हो सकता है, क्योंकि वह रूस से तेल और हथियार खरीदता है। ट्रंप ने भारत जैसे देशों पर भी टैरिफ लगाने की बात कही है, जो रूस का तेल लेते हैं। अगर यह सच हुआ, तो भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। साथ ही, भारत को रूस और अमेरिका के बीच तनाव में अपना रास्ता चुनना होगा, जो आसान नहीं होगा।

सावधानियां और आगे का रास्ता
यह स्थिति बहुत नाजुक है। दोनों देशों को शांति से बातचीत करनी होगी ताकि गलतफहमी से बड़ा खतरा न बढ़े। यूक्रेन में युद्ध रुकने की उम्मीद कम है, लेकिन ट्रंप का दबाव जारी रहेगा। लोगों को भी इस तनाव पर नजर रखनी चाहिए और अपने देश की नीतियों का समर्थन करना चाहिए।

For Feedback - feedback@example.com
Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News