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Nisha Bangre – हाईकोर्ट ने की निशा बांगरे की याचिका स्वीकार

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अधिवक्ता तन्खा कर रहे पैरवी, प्रमुख सचिव को कोर्ट ने दिए निर्देश

Nisha Bangreबैतूल डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के इस्तीफा मंजूर नहीं होने पर उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश जारी किए हैं कि एक माह के अंदर निशा बांगरे के इस्तीफा पर कार्यवाही करें। निशा बांगरे की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा और उनके बेटे वरूण तन्खा पैरवी कर रहे हैं।

22 जून को दिया था इस्तीफा | Nisha Bangre

छतरपुर के लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर पदस्थ डिप्टी कलेक्टर ने सरकार से संतान पालन के लिए अवकाश लिया था। इस दौरान आमला में अपने नवनिर्मित घर के गृहप्रवेश कार्यक्रम और सर्वधर्म शांति सम्मेलन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उन्होंने अनुमति मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें अनुमति नहीं दी जिससे नाराज होकर उन्होंने 22 जून को नौकरी छोडऩे के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को इस्तीफा भेजा था। नियम से यह इस्तीफा 1 माह यानी 22 जुलाई तक मंजूर होना था। लेकिन इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ। इस दौरान निशा बांगरे को कई नोटिस जारी हुए।

उच्च न्यायालय की ली शरण

डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने इस्तीफा मंजूर नहीं होने पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की शरण ली। उनके द्वारा लगाई गई याचिका को उच्च न्यायालय ने स्वीकार किया और सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई की गई। निशा बांगरे की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा के मार्गदर्शन में उनके बेटे वरूण तन्खा ने उनका पक्ष रखा। निशा बांगरे की ओर से रखे गए पक्ष में बताया गया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 24 जनवरी 1973 को मेमो पारित किया था। इसके परिप्रेक्ष्य में उनके त्यागपत्र पर 30 दिन के अंदर कार्यवाही होनी चाहिए थी।

प्रमुख सचिव को दिए निर्देश | Nisha Bangre

डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने सांध्य दैनिक खबरवाणी को चर्चा करते हुए बताया कि सोमवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई के बाद सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिए गए हैं कि एक माह के अंदर उनके त्याग पत्र पर कार्यवाही की जाए। उन्होंने बताया कि उनके वकील ने न्यायालय में सामान्य प्रशासन विभाग के मेमो का उल्लेख करते हुए प्रार्थना की है कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी के विरूद्ध जांच चल रही है तब भी त्याग पत्र स्वीकार किया जाना चाहिए और चल रही जांच को समाप्त किया जा सकता है। इस तर्क को मानते हुए उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को एक माह के अंदर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।

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