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Nisha Bangre – पहले निशा थी कांग्रेस के भरोसे अब कांग्रेस है निशा के भरोसे

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कांग्रेस ने आमला छोड़ घोषित किए सभी प्रत्याशी

Nisha Bangreबैतूल मध्यप्रदेश में जैसा की कांग्रेस का राजनैतिक इतिहास रहा है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हमेशा नामांकन वापसी के पहले तक उम्मीदवारों की सूची जारी करते रही है। लेकिन इस बार स्थिति अलग है। भाजपा द्वारा अगस्त माह में पहली सूची जारी करने के बाद कांग्रेस पर यह मानसिक दबाव बन गया था कि वे भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा करें और इसी के चलते कल कांग्रेस ने 230 में से 229 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। आश्चर्यजनक रूप से बैतूल जिले की आमला सीट को होल्ड पर रखा गया है। इसका कारण प्रशासनिक अधिकारी निशा बांगरे के इस्तीफा स्वीकार होने का इंतजार है।

इस्तीफे से टिकट के बीच का लंबा हो रहा इंतजार | Nisha Bangre

सामान्यत: इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर जैसे बड़े शहरों में नेताओं की भरमार होने के चलते दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस मेें इन जगह के दावेदारों को शार्टआऊट करने और टिकट की घोषणा करने में पसीना आ जाता था लेकिन इस बार कांग्रेस ने इन सभी शहरों के दावेदारों को दो सूची में ही साध लिया है। बैतूल जिले की पांचों सीटों पर हमेशा से एक ही स्ट्रोक में ही घोषणा होते रही है। लेकिन इस बार जिले की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर उम्मीदवार की घोषणा अभी तक नहीं हुई है। जिसको लेकर कांग्रेस के दिग्गजों से लेकर आमला के दावेदारों में भी बेचैनी दिखाई दे रही है।

अब कांग्रेस निशा के भरोसे

छतरपुर जिले के लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर कार्यरत रही प्रशासनिक अधिकारी निशा बांगरे बैतूल जिले में भी लगभग तीन वर्षों तक इसी पद पर कार्य करते रही और आमला अनुविभाग की एसडीएम भी रही। और तभी से निशा बांगरे के मन में आमला विधानसभा सीट से चुनाव लडऩे की इच्छा जाग्रत हो गई। और उन्होंने तीन माह पूर्व अपने पद से इस्तीफा देने की सार्वजनिक रूप से घोषणा की और शासन को इस्तीफा भेज दिया। उस दौरान मीडिया द्वारा पूछने पर निशा बांगरे ने हमेशा चुनाव लडऩे की बात को टाल दिया था क्योंकि उनके प्रयास थे कि कांग्रेस उनको उम्मीदवार बनाए। लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने भी कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिए थे।

इसी दौरान निशा बांगरे के भाजपा और सरकार विरोधी बयानों और सरकार द्वारा इस्तीफा स्वीकार ना करने को लेकर कथित रूप से प्रताडि़त करने की बातों को कांग्रेस हाईकमान ने फायदा का सौदा समझा। और प्रदेश कांग्रेस के दोनों प्रमुख दिग्गज कमलनाथ और दिग्गजय सिंह निशा के साथ खड़े दिखाई देने लगे।

अब कांग्रेस इस इंतजार में है कि यदि 30 अक्टूबर के पहले निशा बांगरे का इस्तीफा स्वीकार हो जाता है तो 230 में से एकमात्र होल्ड आमला सीट पर निशा बांगरे को टिकट दे दी जाए। और इस संपूर्ण घटनाक्रम से यह तो स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस के दिग्गजों के लिए आमला से निशा की उम्मीदवारी कितनी महत्वपूर्ण हो गई है। और राजनैतिक समीक्षक यह कहने लगे हैं कि शुरू में निशा बांगरे कांग्रेस के भरोसे थे अब कांग्रेस निशा के भरोसे है।

बाकी दावेदार शांत और बेचैन | Nisha Bangre

इस सीट पर 2018 का चुनाव कांग्रेस की टिकट पर हारने वाले मनोज मालवे पिछले पांच वर्षों से इस क्षेत्र में निरंतर सक्रिय हैं और सरकार विरोधी हर आंदोलन, प्रदर्शन और धरनें में पूरी सहभागिता के साथ खड़े रहे। तभी से यह माना जा रहा था कि मनोज मालवे को इस चुनाव में भी कांग्रेस मैदान में उतारेगी। लेकिन अब निशा बांगरे के मैदान में आने के बाद मनोज मालवे का नाम कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है।

इसके अलावा महिला कांग्रेस की पदाधिकारी मोनिका निरापुरे, सीमा अतुलकर भी टिकट की दौड़ में है। लेकिन जिस तरह से निशा का नाम ऊपर आया है यह दोनों नाम भी कांग्रेस की राजनीति में दब गए हैं। वहीं राजनैतिक समीक्षकों का यह भी मानना है कि किसी कारण से यदि निशा बांगरे का इस्तीफा 30 अक्टूबर तक मंजूर नहीं होता है तो लाटरी इन तीनों से किसके नाम की खुलेगी यह देखना खासा दिलचस्प होगा।

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