
बैतूल – Nikaye Chunav – जिले के 10 नगरीय निकायों में दो चरणों में चुनाव संपन्न हुए हैं। पहले चरण में नगर पालिका बैतूल, नगर पालिका आमला, नगर पालिका मुलताई, नगर परिषद बैतूलबाजार, नगर परिषद शाहपुर, नगर परिषद घोड़ाडोंगरी और नगर परिषद भैंसदेही में 8 अगस्त को अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के चुनाव संपन्न हुए थे। और ये सभी 7 निकायों में एक ही तारीख में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए लेकिन इन सात में से भाजपा का मुलताई में स्पष्ट बहुमत एवं आमला में जुगाडू बहुमत के बावजूद इन दोनों स्थानों पर भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पदों पर चुनाव हार गए।
जिले के तीन नगरीय निकायों में दूसरे चरण में पार्षद प्रत्याशियों के चुनाव संपन्न हुए हैं। नगर पालिका सारनी, नगर परिषद चिचोली एवं नगर परिषद आठनेर में 27 सितम्बर को पार्षद पद के प्रत्याशियों के लिए मतदान हुआ है और अब इन तीनों नगरीय निकायों में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का निर्वाचन होना बाकी है। लेकिन जहां पहले चरण में जहां जिले के सातों नगरीय निकायों में एक ही दिन पदाधिकारियों के चुनाव हुए वहीं इन तीन निकायों में अलग-अलग तीन तारीखों में पदाधिकारियों के निर्वाचन के कार्यक्रम की अधिकृत घोषणा हुई है जिसको लेकर राजनैतिक हल्कों में अलग-अलग तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। आठनेर में 17, चिचोली में 18 और सारनी में 19 अक्टूबर को सम्मेलन बुलाया गया है।
तीन तारीखों में निर्वाचन से राजनैतिक दल प्रसन्न
सात निकायों में एक साथ निर्वाचन से जिले के प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस को चुनावी समीकरण बैठाने में पूरा समय नहीं मिला। इसलिए कई जगह परिणाम अपेक्षाकृत नहीं आ पाए। और विशेषकर भाजपा मुलताई और आमला की जीतती बाजी हार गई। वहीं शाहपुर में भी भाजपा निर्दलियों का समीकरण नहीं बैठा पाए।लेकिन अब अलग-अलग तारीखों में निर्वाचन से भाजपा इन तीनों नगरीय निकायों में अपना अध्यक्ष निर्वाचित करने के लिए पूरी ताकत झोंक देगी। वैसे तो तीनों निकायों में पार्षदों की संख्या देखे तो तीनों जगह भाजपा के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष निर्वाचित हो सकते हैं। लेकिन निर्वाचित पार्षदों की राजनैतिक महत्वाकांक्षा के चलते भाजपा भी डरी हुई है।
सारनी में अध्यक्ष पद को लेकर घमासान

मध्यप्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी नगर पालिका सारनी में इस बार 36 वार्डों में से मात्र एक सीट के बहुमत से भाजपा के पार्षद निर्वाचित हुए हैं। वो भी तब जब क्षेत्रीय भाजपा विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे ने इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्र बना लिया था। और पूरे समय चुनाव क्षेत्र में डटे रहे। अभी सारनी में भाजपा के 19, कांग्रेस के 11 और 6 निर्दलीय पार्षद निर्वाचित हुए हैं। भाजपा में दो पार्षद किशोर महोबे और योगेश बर्डे अध्यक्ष बनने के लिए पूरी क्षमता से लॉबिंग कर रहे हैं। वहीं भाजपा से पूर्व में निर्वाचित नगर पालिका अध्यक्ष एवं वर्तमान में निर्दलीय पार्षद मनोज डहेरिया भी कांग्रेस, निर्दलीय और भाजपा पार्षदों की टूट के भरोसे अध्यक्ष बनना चाह रहे हैं।
आठनेर में भी भाजपा के तीन दावेदार

आठनेर में भी यही स्थिति है। यहां 15 में से भाजपा 9, कांग्रेस 5 और 1 निर्दलीय पार्षद बना है। लेकिन भाजपा के 9 में से तीन पार्षद अध्यक्ष बनना चाह रहे हैं। इनमें ललिता महाले, सुषमा जगताप और गायत्री आजाद प्रमुख है। वहीं कांग्रेस से पूर्व में निर्वाचित नगर परिषद अध्यक्ष एवं वर्तमान में पार्षद रीता प्रदीप झोड़ कांग्रेस, निर्दलीय एवं भाजपा की टूट के भरोसे अध्यक्ष बनने के प्रयास में है।
चिचोली की स्थिति स्पष्ट

चिचोली नगर परिषद में निर्वाचन के बाद स्थिति एकदम स्पष्ट है। 15 वार्डों में से 11 में भाजपा और 4 में कांग्रेस पार्षद निर्वाचित हुए हैं। भाजपा के 11 में से तीन एक ही बाली मालवीय परिवार के हैं और तीसरी बार इन्हीं के परिवार का अध्यक्ष निर्वाचित होना तय है। इसलिए यहां से भाजपा का कोई और पार्षद अध्यक्ष पद का दावा नहीं ठोंक रहा है। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती सुलोचना संतोष मालवीय पुन: नगर परिषद अध्यक्ष निर्वाचित हो सकती है। चूंकि तीनों ही नगरीय निकायों में अलग-अलग दिन मतदान होना है इसलिए भाजपा सारनी और आठनेर में पार्षदों के बीच विद्रोह ना होने देने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।