Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

NHAI ने उठाई आपत्ति: 6 लाख की जमीन पर 3 करोड़ से ज्यादा का फर्जी दावा

By
On:

बिलासपुर: भारतमाला प्रोजेक्ट के ढेका-उरगा मार्ग में भूमि अधिग्रहण घोटाले पर बड़ा फैसला आया है। संभागायुक्त/आर्बिट्रेटर ने एनएचएआइ की दलीलों को सही मानते हुए सात पूरक अवार्ड निरस्त कर दिए।

जांच में पाया गया कि अधिक मुआवजा पाने के लिए बैकडेटेड बटांकन कर जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा गया था। ऐसा कर सात जमीन मालिकों को तीन करोड़ 75 लाख 87 हजार रुपये बांटने की तैयारी थी। एनएचएआइ की शिकायत के बाद मामले की जांच की गई। इसमें गड़बड़ी परत दर परत खुलती गई। संभागायुक्त ने अब निर्धारित मापदंड के अनुसार सात प्रकरणों में छह लाख 20 हजार 800 रुपये मुआवजा निर्धारित किया गया है।

NHAI ने जताई थी आपत्ति
गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण में खेत की जमीन की अलग दर निर्धारित है और छोटे-छोटे टुकड़ों की नंबरी जमीन की कीमत अधिक है। राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत कर खेत की जमीन का बटांकन कर अधिक मुआवजा लेने की तैयारी थी। मामले की जानकारी होने पर NHAI ने इस पर आपत्ति जताई थी। साथ ही अवार्ड की राशि को लेकर संभागायुक्त कोर्ट में मामला दर्ज कराया।

सुनवाई के दौरान NHAI ने अदालत में कहा कि ग्राम ढेका की 0.1940 हेक्टेयर भूमि का अवैध विभाजन सिर्फ मुआवजा दर बढ़ाने के उद्देश्य से हुआ है। यानी टुकड़ों में बांटकर एक वर्ग मीटर जमीन की दर 1800 रुपये के भाव से मुआवजा प्रकरण जारी किया गया था। इस हिसाब से 0.1940 हेक्टेयर जमीन के लिए तीन करोड़ 75 लाख का मुआवजा बांटने की तैयारी थी। आर्बिट्रेटर ने बलदेव सिंह बनाम पंजाब राज्य का हवाला देते हुए पूरक अवार्ड दिनांक नौ जून 2021 को रद कर दिया और छह लाख 20 हजार 800 रुपये का संशोधित अवार्ड पारित किया है।

ऐसे 42 प्रकरण और लंबित हैं
भारतमाला प्रोजेक्ट के ढेका-उरगा मार्ग में भूमि अधिग्रहण में राजस्व अधिकारियों ने जमीन मालिकों को लाभ देने के लिए 30 सितंबर 2017 को नौ खातेदारों और 23 अक्टूबर 2017 को 40 खातेदारों का गलत तरीके से बटांकन किया गया है। यानी करोड़ों रुपये की गड़बड़ी को अंजाम देने की तैयारी थी। अभी संभागायुक्त कोर्ट ने सिर्फ सात प्रकरणों में अपना फैसला दिया है। 42 प्रकरण अब भी लंबित हैं।

तहसीलदार सस्पेंड, पटवारी कर चुका है आत्महत्या
मामला 2018 में सामने आया। उस दौरान ग्राम ढेका में सुरेश कुमार मिश्रा पटवारी थे। वहीं डीके उइके तहसीलदार के पद पर पदस्थ थे। इन्होंने भूमि स्वामियों से मिलीभगत कर अधिसूचना जारी होने के बाद गलत तरीके से बटांकन किया। जांच में मामला सामने आने के बाद तहसीलदार और पटवारी के खिलाफ तोरवा थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई। फआइआर दर्ज होने के बाद पटवारी ने कलेक्टर को एक आवेदन भी दिया था। उसके बाद मानसिक दबाव में आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे।

क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट और घोटाले की जड़ें
भारत सरकार की 1,520 करोड़ की लागत से ग्राम ढेका से उरगा तक 70 किलोमीटर लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग 130ए बन रहा है। भूमि अधिग्रहण की सूचना जारी होने के बाद ग्राम ढेका में संदिग्ध तरीके से 33 बटांकन कर 76 मालिक दिखाए गए। इससे मुआवजा राशि कई गुना बढ़ गई और परियोजना की लागत पर सीधा असर पड़ा।

कैसे बढ़ा विवाद
2018 में भूमि अधिग्रहण की 3-डी अधिसूचना जारी होने के बाद यह गड़बड़ी सामने आई। रिकार्ड खंगालने पर पता चला कि विभाजन कई खसरा नंबरों पर 2017 में ही दर्शाया गया था, जबकि अधिसूचना बाद में निकली थी। एक ही दिन में 22 और दूसरे दिन 11 बटांकन किए जाने से मामले की संदिग्धता और गहरी हो गई थी।

For Feedback - feedback@example.com
Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News