अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में फिर से महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया है, जिससे वाशिंगटन की राजनीति में जबरदस्त हलचल मच गई है। डेमोक्रेटिक सांसद अल ग्रीन द्वारा पेश किया गया यह प्रस्ताव अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने 237-140 वोटों से खारिज कर दिया। हालांकि यह नतीजा पहले से तय माना जा रहा था, लेकिन फिर भी यह डेमोक्रेट्स के अंदर बढ़ते समर्थन की झलक दिखाता है।
डेमोक्रेट्स की नई कोशिशें नाकाम, लेकिन संदेश साफ
यह इस साल दूसरी बार है जब अल ग्रीन ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कोशिश की। पहली बार की तुलना में इस बार डेमोक्रेट्स के भीतर कुछ और सदस्यों ने समर्थन किया। हाउस माइनॉरिटी लीडर हकीम जैफ्रीज़ ने कहा कि महाभियोग एक “गंभीर संवैधानिक प्रक्रिया” है और इसके लिए पूरी जांच जरूरी है, लेकिन उन्होंने प्रस्ताव का खुला विरोध भी नहीं किया और “प्रेज़ेंट” वोट किया।
ट्रंप पर लगे क्या आरोप?
ग्रीन का कहना है कि ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में “गंभीर अपराध और कदाचार” किए हैं। जून में पेश किए गए प्रस्ताव में आरोप लगाया गया था कि ट्रंप ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर बिना कांग्रेस की मंजूरी के हवाई हमले कराए, जिससे युद्ध जैसी स्थिति बन सकती थी। नए प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि ट्रंप ने सोशल मीडिया वीडियो के जरिए डेमोक्रेट सांसदों को मौत की धमकी देने जैसा माहौल बनाया और सैनिकों को अवैध आदेश न मानने की सलाह दी।
पहले भी दो बार हो चुका है महाभियोग
ट्रंप की राजनीतिक यात्रा विवादों से भरी रही है। उनके पहले कार्यकाल में—
- 2019 में: यूक्रेन पर दबाव बनाकर बाइडेन परिवार की जांच कराना।
- 2021 में: चुनाव परिणाम पलटने की कोशिश और कैपिटल दंगे के लिए उकसाना।
दोनों मामलों में उन्हें प्रतिनिधि सभा ने महाभियोग लगाया, लेकिन सीनेट ने बरी कर दिया।
2026 मिडटर्म चुनावों पर बढ़ा असर
रिपब्लिकन नेताओं का कहना है कि डेमोक्रेट्स के पास कोई असली एजेंडा नहीं है, इसलिए वे बार-बार महाभियोग का विषय उठाते हैं। फ्लोरिडा के सांसद मारियो डियाज़-बलार्ट ने कहा कि “ये असली मुद्दों पर काम करने के बजाय राजनीतिक खेल खेल रहे हैं।”
डेमोक्रेट्स बोले—बहुमत मिला तो होगी कड़ी जांच
कैलिफ़ोर्निया के डेमोक्रेट टेड लियू ने कहा कि पार्टी के अंदर इस मुद्दे पर अलग-अलग राय है। उनका कहना है कि यदि मिडटर्म में बहुमत मिलता है तो ट्रंप प्रशासन की पूरी जांच होगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि तुरंत महाभियोग लाया जाएगा। “पहले गवाह, दस्तावेज़, ऑडियो-वीडियो—सबकी बारीकी से जांच होगी, तभी कोई फैसला होगा।”





