साउथ के सुपरस्टार और अब पॉलिटिक्स में उतरे थलपति विजय का सफर हमेशा सुर्खियों में रहा है। 2024 में अपनी पार्टी तमिळगा वेट्टी कझगम (TVK) लॉन्च करने के बाद से ही विजय ने तमिलनाडु की राजनीति में हलचल मचा दी। लेकिन सितंबर 2025 में हुई दो बड़ी घटनाओं ने उनके राजनीतिक करियर को नई चुनौती और नया मोड़ दे दिया है।
सितंबर 2025 की दो बड़ी घटनाएं
13 सितंबर को विजय की त्रिची रैली में तोड़फोड़ और बवाल हुआ, जिससे शहर ठप पड़ गया। इसके बाद 27 सितंबर को करूर में उनकी रैली के दौरान स्टाम्पीड हादसे में 36 लोगों की जान चली गई। इन घटनाओं ने उनकी लोकप्रियता और पब्लिक इमेज पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
विजय की राजनीति कब शुरू हुई?
सिनेमा के थलपति विजय (Joseph Vijay) ने हमेशा अपनी फिल्मों में सोशल मैसेज दिए। 2024 में जब उन्होंने TVK की नींव रखी, तो साफ कर दिया कि वो तमिलनाडु की पारंपरिक द्रविड़ राजनीति – DMK और AIADMK – को सीधी चुनौती देंगे। विजय का सबसे बड़ा हथियार है उनकी फैन आर्मी, जो उन्हें 2026 विधानसभा चुनावों में सीधे मैदान में उतार सकती है।
विजय की पकड़ कहां ज्यादा है?
विजय की लोकप्रियता खासकर दक्षिणी जिलों और युवाओं में है। चेन्नई, त्रिची, मदुरै और कोयंबटूर जैसे शहरों में उनके फैन बेस लाखों में है। लेकिन राजनीतिक ज़मीन पर देखें तो उनकी पार्टी अभी भी सिर्फ फैंस पर टिकी है, ग्राउंड लेवल कैडर की कमी है। हालांकि, उनके मेगा-रैलियों में भीड़ देखकर साफ है कि वो राज्य में सबसे बड़े पब्लिक पुलर बन चुके हैं।
करूर हादसे का असर क्या होगा?
करूर स्टाम्पीड के बाद सोशल मीडिया पर दो तरह की राय है। कुछ लोग विजय को MGR के बाद सबसे बड़ा नेता बता रहे हैं, वहीं विरोधी पूछ रहे हैं कि क्या विजय अपने फैंस को काबू में रख पाएंगे? अगर लापरवाही साबित हुई तो यह TVK की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन युवा वर्ग अब भी उन्हें हीरो मानकर सपोर्ट कर रहा है।
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थलपति विजय का राजनीतिक भविष्य
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि स्टार पावर को वोट में बदलना आसान नहीं होता। कमल हासन जैसे दिग्गज भी इस टेस्ट में कमजोर पड़े थे। लेकिन विजय का युवा वोट बैंक, DMK की कमजोरियों वाले इलाकों में, उन्हें बड़ा फायदा दे सकता है। अगर वो भीड़ की ऊर्जा को संगठनात्मक ताकत में बदल पाए, तो आने वाले सालों में थलपति विजय तमिलनाडु के सबसे बड़े जननेता बन सकते हैं।