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सिविल अस्पताल की लापरवाही से नवजात शिशु की मौत, परिजनों में आक्रोश

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सिविल अस्पताल की लापरवाही से नवजात शिशु की मौत, परिजनों में आक्रोश

प्रसव पीड़ा में दर-दर भटकी गर्भवती, समय पर नहीं मिला इलाज

आमला। नगर के सिविल अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही और समय पर उपचार न मिलने के कारण एक नवजात शिशु की मौत हो गई। जानकारी के अनुसार पीड़िता वर्षा रेकवार पति राहुल रेकवार को 22 अगस्त की दोपहर प्रसव पीड़ा होने पर परिजन अस्पताल लेकर पहुँचे। अस्पताल स्टाफ ने बिना गंभीरता को समझे यह कहकर वापस कर दिया कि नार्मल डिलीवरी होगी और इसमें अभी दो दिन का समय लगेगा। इससे परिजन मायूस होकर गर्भवती को घर ले आए। उसी रात प्रसव पीड़ा और बढ़ गई। जब परिजन रात 8 बजे गर्भवती को फिर से अस्पताल लेकर पहुँचे तो उसे भर्ती किया गया, लेकिन रातभर अस्पताल में लापरवाही और उदासीनता का माहौल रहा। पीड़िता दर्द से कराहती रही, परंतु कोई भी स्टाफ उसकी देखभाल करने के लिए नहीं पहुँचा।

*नर्स की लापरवाही, बार-बार बुलाने पर भी नहीं पहुँची मदद करने*

रातभर गर्भवती प्रसव पीड़ा से जूझती रही और परिवार की महिलाएँ बार-बार अस्पताल स्टाफ को बुलाने जाती रहीं। पीड़िता की नंद नीलम, सोनू और भाभी बंदू ने रातभर नर्सों को बुलाया, लेकिन उनकी गुहार को दरकिनार कर दिया गया। सुबह 23 अगस्त को करीब 5 बजे ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने कहा कि बच्चा शाम तक होगा। थोड़ी देर बाद उसने कहा कि आधे घंटे में डिलीवरी हो जाएगी। इसके बावजूद कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई। हालत बिगड़ने पर बताया गया कि बच्चे की धड़कन नहीं चल रही है। लगभग सुबह 7:49 बजे किरण सारटकर नामक नर्स ने महिला को बैतूल रेफर कर दिया। परिजन गर्भवती को तत्काल बैतूल ले गए।

*नवजात की मौत, फर्जी हस्ताक्षर से रेफर करने का आरोप, परिजनों ने जताया गुस्सा*

बैतूल में निजी अस्पताल पहुँचने पर डॉक्टरों ने बड़ी मुश्किल से प्रसूता की जान बचाई, लेकिन नवजात शिशु को नहीं बचाया जा सका। परिजनों का आरोप है कि अगर समय पर देखभाल और चिकित्सकीय उपचार दिया जाता तो नवजात शिशु की जान बच सकती थी। पति राहुल रैकवार ने बताया कि रोस्टर के अनुसार मेटरनिटी विंग, पोस्टमार्टम और फील्डवर्क की जिम्मेदारी बीएमओ अशोक नरवरे की है, लेकिन नर्स ने बीएमओ के फर्जी हस्ताक्षर कर प्रसूता को रेफर कर दिया। यह गंभीर लापरवाही है, जिसकी उच्चस्तरीय जांच कर जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। परिजनों और ग्रामीणों में भारी आक्रोश है और लोगों का कहना है कि आए दिन अस्पताल में स्टाफ की मनमानी और लापरवाही सामने आती है, लेकिन उस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर कब तक मरीज और उनके परिवारजन ऐसी लापरवाही की भेंट चढ़ते रहेंगे।

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