भारत सरकार ने यात्रा को और आसान बनाने लिया बड़ा फैसला
New satellite: इस नए टोल कलेक्शन सिस्टम में आपकी गाड़ी में एक छोटा सा डिवाइस लगाया जाएगा जो सैटेलाइट से कनेक्ट रहेगा। जब आप टोल वाले इलाके से गुजरेंगे, तो यह डिवाइस स्वचालित रूप से टोल टैक्स का भुगतान करेगा। इस प्रक्रिया में आपको गाड़ी रोकने या किसी टोल बूथ पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डिवाइस सैटेलाइट के माध्यम से आपकी गाड़ी की लोकेशन ट्रैक करेगा और जैसे ही आप टोल प्लाजा के पास पहुंचेंगे, निर्धारित टोल राशि आपके लिंक किए गए अकाउंट से अपने आप कट जाएगी।
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यह सिस्टम न केवल समय की बचत करेगा बल्कि टोल प्लाजा पर लगने वाले जाम को भी कम करेगा। टोल कलेक्शन की पारदर्शिता और सही तरीके से भुगतान सुनिश्चित करने के लिए इसे खास तौर पर डिजाइन किया गया है। नए टोल सिस्टम की टेस्टिंग के लिए अगले सप्ताह कुछ गाड़ियों को ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) के साथ पेश करने की तैयारी की जा रही है। यह ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) एक ट्रैकर डिवाइस के रूप में काम करेगा, जो आपकी गाड़ी के सिग्नल को सैटेलाइट तक पहुंचाएगा। इस प्रणाली से टोल संग्रहण और ट्रैकिंग की प्रक्रिया को अधिक सटीक और सुविधाजनक बनाने की उम्मीद है। सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने के लिए गाड़ियों में ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) लगवाना अनिवार्य होगा। आने वाले कुछ वर्षों में नई गाड़ियाँ प्री-फिटेड ऑन-बोर्ड यूनिट के साथ उपलब्ध होंगी, जबकि मौजूदा गाड़ियों में बाहर से ऑन-बोर्ड यूनिट लगाया जा सकेगा। इस बदलाव से टोल संग्रहण की प्रक्रिया अधिक प्रभावी और सुविधाजनक हो जाएगी। सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम के लिए पहले ट्रकों, बसों और खतरनाक सामान वाले वाहनों में ऑन-बोर्ड यूनिट लगाई जाएगी। अन्य प्रकार के कमर्शियल वाहनों को अगले चरण में शामिल किया जाएगा। निजी वाहनों को इस नए टोल सिस्टम में 2026-27 के दौरान अंतिम चरण में जोड़ा जाएगा। सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम को जून 2025 तक 2,000 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू किया जाएगा। इसके बाद, नौ महीनों में 10,000 किलोमीटर, 15 महीनों में 25,000 किलोमीटर और दो वर्षों में 50,000 किलोमीटर तक विस्तार करने का लक्ष्य रखा गया है।
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