NCPID-2024: बच्चों में इन्फेक्शन पर सीमित हो एंटीबायोटिक डोज:डॉ. पारीख

By
On:
Follow Us

NCPID-2024: आजकल एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग हमारी अगली पीढ़ी के लिए चुनौती बनता जा रहा है, क्योंकि इसके अत्यधिक उपयोग से इनकी प्रभावशीलता कम हो रही है। 26 वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ पीडियाट्रिक इंफेक्शियस डिसीज (NCPID-2024) में मुंबई से आए सीनियर पीडियाट्रिशियन डॉ. बकुल पारीख ने कहा कि बच्चों में संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक का संतुलित उपयोग ही किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि बच्चों में सामान्य बीमारियों जैसे सर्दी-खांसी और दस्त में बिना जरूरी लक्षणों के एंटीबायोटिक्स देने की जरूरत नहीं होती। तेज बुखार, सांस फूलना या मोशन में खून जाने जैसे लक्षण दिखाई दें, तभी एंटीबायोटिक दी जानी चाहिए।सम्मेलन के अंतिम दिन बच्चों की स्वास्थ्य से जुड़े 20 से अधिक विषयों पर चर्चा की गई। ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. जेएस टूटेजा ने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस से इंदौर और आसपास के क्षेत्रों के डॉक्टरों को भी लाभ हुआ है। ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. केके अरोरा ने बताया कि यह कॉन्फ्रेंस मध्य प्रदेश में 13 साल बाद हुई है और इससे बाल मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलेगी।

धुएं और संक्रमण से बच्चों में बढ़ती निमोनिया की समस्या

इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, कोलकाता के सीनियर पीडियाट्रिशियन डॉ. जयदीप चौधरी ने बताया कि बच्चों में निमोनिया का एक बड़ा कारण इंफेक्शन और धुआं है। घर में चूल्हे या सिगरेट के धुएं से बच्चों में निमोनिया की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा अत्यधिक तेल मालिश, नाक में तेल डालने, सफाई के लिए मुंह में कपड़ा डालने जैसी आदतों से भी संक्रमण का खतरा रहता है। साथ ही, नवजात शिशुओं को ज्यादा गर्म कपड़े पहनाने से पसीना आने के कारण भी इंफेक्शन हो सकता है।इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल की जा सकती है, और इनसे बचाव में मदद मिल सकती है।

source internet साभार…