Murgi Palan – अंडा देने वाली मुर्गियों के पालन का जाने सही तरीका 

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बहुत जल्द नजर आने लगेगा लाभ 

Murgi Palanसरकार देशवासियों के स्वावलंबन में विशेष महत्व दे रही है। सरकार का प्रमुख ध्यान कृषि क्षेत्र पर है, जहां रोजगार और व्यापार के लिए अनेक अवसर हैं। भारत में लेयर पोल्ट्री उत्पादन उत्तम व्यवसाय है, क्योंकि जनता इसके अंडे प्रतिदिन उपभोग करती है और इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। यह उचित मार्गदर्शन और तकनीक के साथ अच्छा लाभ प्रदान कर सकता है। लेकिन सही जानकारी के साथ लेयर मुर्गी पालन करना आवश्यक है। इस प्रकार की मुर्गियों के उत्पादन के बारे में यहां जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

उचित प्रक्रिया के साथ करें मुर्गी पालन | Murgi Palan 

अगर व्यावसायिक स्तर पर लेयर पोल्ट्री शुरू करना चाहते हैं, तो आप इसे उचित प्रक्रिया के साथ कर सकते हैं। साथ ही, छोटे स्तर पर मुर्गी पालन के लिए भी विशेष तकनीक का अनुसरण किया जाता है। लेयर मुर्गियों के दो विभिन्न प्रकार होते हैं। पहला प्रकार व्हाइट लेइंग हेन ग्रुप की मुर्गियां हैं, जिनकी विशेषता यह है कि ये आमतौर पर अन्य मुर्गियों से थोड़ी छोटी होती हैं और कम आहार खाती हैं। इनके अंडे सफेद रंग के होते हैं। ईसा व्हाइट, लेहमान व्हाइट, निकचिक, और बाब कॉक इस ग्रुप के मुख्य प्रजातियां हैं।

एक अन्य समूह है ब्राउन लेइंग हेन, जिनमें मुर्गियों के अंडे गहरे भूरे रंग के होते हैं और वे आकार में बड़ी होती हैं। ये लेयर मुर्गियां वहां के दूसरी प्रकार की मुर्गियों की तुलना में अधिक खाने की आवश्यकता होती है। ब्राउन लेइंग हेन के प्रमुख प्रजातियां हैं ईसा ब्राउन, हाय ब्राउन, लेहमैन ब्राउन, गोल्ड लाइन, और हावर्ड ब्राउन।

चूजों को खरीदते समय रखें ध्यान 

एक्सपर्ट्स की मानें तो जब चूजे खरीदते हैं, तो सुनिश्चित करें कि स्वस्थ चूजे का वजन 35-40 ग्राम से अधिक है। चूजों को सभी प्रकार के रोगों से बचाव करना चाहिए। टीकाकरण महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चूजों की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है। विश्वसनीय विक्रेता से चूजा चुनना सुनिश्चित करें। चूजों को चार महीने बाद, 16 हफ्ते के बाद, अंडे देना शुरू करें। चूजों की सही वृद्धि के लिए जन्म से पांच सप्ताह के बीच विशेष देखभाल की जरूरत होती है, इसे हम ‘ब्रूडिंग स्टेज’ कहते हैं।

इस दौरान, उचित तापमान का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। दो हफ्ते बाद, चूजों को 2% कैल्शियम की खानी दें। इस दौरान, चूजे अपनी तापमान को स्वयं नहीं नियंत्रित कर सकते हैं, इसलिए उन्हें प्रोटीन और ऊर्जा की अधिकता की जरूरत होती है।

सही समय पर सही आहार | Murgi Palan 

लेयर मुर्गी पालन में, जब चूजों की आयु छह सप्ताह होती है, तो वे अपने तापमान को स्वयं नियंत्रित कर सकते हैं, जिसे “ग्रोवर” चरण भी कहा जाता है। पहले इस चरण में, उन्हें ग्रोवर फीड दिया जाता है, जो अधिक खर्चीले नहीं होता। इस समय पर, उनके सही शारीरिक विकास के लिए सही आहार देना चाहिए, ताकि आगे जाकर उनका अंडा उत्पादन प्रभावित नहीं हो।

इस दौरान, चोंच काटने की प्रक्रिया भी संपन्न होती है और जब चार महीने पूरे होते हैं, तो लगभग 90% मुर्गियां अंडे देने वाले लेयर क्षेत्र में स्थानांतरित की जाती हैं। मुर्गियों की स्वास्थ्य की नियमित जाँच की जरूरत है, ताकि उनकी स्थिति पर नजर रह सके। सामान्यत: एक ब्राउन लेगहॉर्न मुर्गी प्रतिदिन लगभग 120 ग्राम चारा खाती है, जबकि एक व्हाइट लेग हेन या ब्राउन लेगहॉर्न मुर्गी प्रतिदिन लगभग 105 ग्राम चारा खाती है और एक अंडा प्रतिदिन देती है।

साल में कितने अंडे देती है मुर्गी 

चूजे से शुरू करके अंडे की उत्पादन प्रक्रिया में 4 महीने का समय लगता है। जब चूजा 6 महीने का होता है, तो वह अच्छी संख्या में अंडे देने लगता है। एक मुर्गी साल में 300-310 अंडे देती है। इसके बाद, इन मुर्गियों को फार्म से हटा देना उचित है, क्योंकि इससे अंडा उत्पादन की लाभकारीता गिर सकती है। डॉ. वर्मा बताते हैं कि एक अंडा तैयार करने की लागत लगभग 3.50 रुपये होती है, जो बाजार में 4.50 रुपये में बेचा जाता है। इससे हर अंडे पर 1.0 रुपये की बचत होती है। अगर आप 10,000 लेयर बर्ड के साथ केज तकनीक का उपयोग करके फार्म चलाते हैं, तो 4 महीने बाद आपकी दैनिक कमाई लगभग 10,000 रुपये होती है। इस तरह, आप महीने में तीन लाख रुपये तक आय प्राप्त कर सकते हैं।

केज प्रौद्योगिकी के साथ, 10 हजार पोल्ट्री फार्मिंग के लिए एक एकड़ जमीन अवश्यक है। इस प्रकल्प के लिए, लेयर फार्म तैयार करने में लगभग 70-80 लाख रुपए का खर्च आता है। सरकार द्वारा लोन की व्यवस्था भी है, जिसमें उपयोगकर्ता को कम से कम 30% अपनी जमीनी राशि देनी होती है और शेष राशि बैंक से उपलब्ध होती है।

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