राजपत्र के शब्दों में हेरफेर कर ‘यूनिपोल’ को भी ‘होर्डिंग’ बता रहे नगरपालिका सीएमओ
राजपत्र में लिखा है- यूनिपोल/होर्डिंग/बिल बोर्ड, इसी में से एक शब्द चुराया और भ्रष्टाचार का खेल शुरू
सांध्य दैनिक खबरवाणी, बैतूल
यदि आपको ‘आंखों से काजल चुराने’ की कला सीखना हो तो नगरपालिका सीएमओ सतीश मटसेनिया के पास जाना होगा क्योंकि वे इस कला में माहिर हैं, इसका जीता जागता उदाहरण शहर में खड़े 91 होर्डिंग हैं, इन 91 होर्डिंग में दरअसल 5 यूनिपोल भी हैं, लेकिन उन्हें भी यूनिपोल की जगह होर्डिंग का नाम देकर टेंडर प्रक्रिया की शर्तों और राजपत्र की शब्दावली से भी छेड़छाड़ की गई है। दरअसल राजपत्र की शब्दावली में यूनिपोल/होर्डिंग/बिल बोर्ड जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जबकि बैतूल नगरपालिका ने राजपत्र की शब्दावली को दरकिनार कर इसमें से केवल होर्डिंग शब्द का इस्तेमाल किया और यूनिपोल को भी होर्डिंग वाली लिस्ट में शामिल कर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की कोशिश के साथ ही स्टॉम्प ड्यूटी की चोरी, जीएसटी सहित नगरपालिका को मिलने वाले राजस्व का भी भारी नुकसान कर दिया गया है।
राजपत्र की भाषा से छेड़छाड़
राजपत्र में स्पष्ट रूप से यूनिपोल/होर्डिंग/बिल बोर्ड का जिक्र किया गया है, लेकिन नगरपालिका के टेंडर में केवल होर्डिंग शब्द का इस्तामल किया गया और 91 होर्डिंग की लिस्ट में पांच यूनिपोल को भी समाहित कर दिया गया।
निविदा की शर्तों में छेड़छाड़ से ब्लेक लिस्ट किया जाएगा ठेकेदार
निविदा की शर्तों में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यदि निविदा की शर्तों से यदि छेड़छाड़ की जाती है तो भविष्य में ऐसे ठेकेदार को नगरपालिका, नगर निगम में टेंडर डालने के लिए ब्लेक लिस्टेड कर दिया जाएगा, यानि की फिर कभी दोबारा वह टेंडर लेने के लिए अधिकृत नहीं होगा, लेकिन नगरपालिका ने होर्डिंग टेंडर की लगभग सभी जरूरी शर्तों से छेड़छाड़ की है।
परिषद में प्रस्ताव नहीं,सीएमओ बोल रहे पारित हुआ है प्रस्ताव
नगरपालिका परिषद में यूनिपोल के लिए जब प्रस्ताव रखा गया तो इस पर काफी हंगामा हुआ था। सूत्र बताते हैं कि एक सिर से पार्षदों ने यूनिपोल लगाने का विरोध किया था, बावजूद इसके नगरपालिका ने शहर के पांच स्थानों पर डिवाइडरों और सडक़े के बीच नियमों की अनदेखी करते हुए यूनिपोल लगा दिए, जिसका अब भी विरोध हो रहा है।
सडक़ के बीच या डिवाइडर के बीच नहीं लगाए जा सकते यूनिपोल
टेंडर की शर्तों में स्पष्ट है कि सडक़ के बीच और डिवाइडनरों के बीच यूनिपोल नहीं लगाए जा सकते, लेकिन नगरपालिका ने जो पांच यूनिपोल लगाए हैं वह खुद की सडक़ पर और सडक़ के बीच डिवाइडरों के सहारे यूनिपोल खड़े किए हैे, जिससे लोगों की सुरक्षा को भी अनदेखा किया गया है। अन्य महानगरों में हुई दुर्घटनाओं को भी पूरी तरह से नजर अंदाज करके नगरपालिका सीएमओ टेंडर के नियमों में अपनी मर्जी से फेरबदल कर रहे हैं।
नपा की माली हालत खराब फिर भी दे दी यूनिपोल के लिए बिजली
देखा जाए तो एक तरह से नगरपालिका की माली हालात बेहद खस्ता चल रही है, कर्मचारियों के सेलरी दो माह में एक बार हो रही है, जबकि बिजली बिल भरने में भी नगरपालिका को पसीने छूट रहे हैं, इसके बावजूद शहर में लगे पांच यूनिपोल के लिए नगरपालिका ने स्ट्रीट लाइट से कनेक्शन दे दिए जबकि निविदा की शर्तों में बाकायदा ठेकेदार को कनेक्शन लेकर मीटर लगावाना है और जो बिजली का भार आता है उसे बिजली कंपनी में जमा करना है। ये सभी छोटे-मोटे हेरफेर नगरपालिका ने ऊपरी तौर पर इस टेंडर में कर दिए लेकिन अंदरूनी रूप से देखा जाए तो यूनिपोल और होर्डिंग लगाने के मामले में गंभीर लापरवाही की गई है।