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Munga Affected Farmer : पांच साल से राशि के लिए भटक रहे मुनगा पीडि़त किसान

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उद्यानिकी विभाग की योजना में ठगे गए थे किसान

Munga Affected Farmerबैतूल – तोतापरी आम से अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड माजा, सफेद सोने के रूप में काजू की खेती सहित मुनगा से किसानों की झोली में रुपयों की बारिश कराने का सब्जबाग दिखाकर किसानों को झांसे में लेकर उन्हें करोड़पति से कंगाल बनाने में कोई कसर नहीं छोडऩे वाली उद्यानिकी विभाग की तत्कालीन उपसंचालक की भले ही जिले से रवानगी हो गई है लेकिन उनके द्वारा दी गई प्रताडऩा का दंश आज भी जिले के किसान भुगतने को मजबूर हो रहे हैं। पांच साल का लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी उन्हें आज तक राशि नहीं मिल पाई है। किसानों ने कलेक्टर पहुंचकर पूरे मामले की शिकायत करते हुए उन्हें राशि दिलाए जाने की मांग की है।

क्या था मामला | Munga Affected Farmer

किसान घनश्याम वामनकर का कहना है कि 2017-18 में जिले के उन्नतशील किसानों को मुनगा पौधरोपण कार्यक्रम करने हेतु उद्यानिकी विभाग की तत्कालीन उपसंचालक डॉ. आशा उपवंशी एवं यूबीगोएग्री साल्युशन प्रा.लि. इंदौर से मिलकर जिला पंचायत के साथ जिला पंचायत के सभाकक्ष में बैठक करके सभी कृषकों को मुनगा पत्ती उपात्दन एवं विक्रय करके प्रति एकड़ लाखों रुपए की कमाई करवाने का सपना दिखाया गया था। इस योजना में 100 किसानों से प्रति एकड़ 20 हजार रुपए के मान से राशि जमा करवाई गई थी। इसके बाद 35 से 40 किसानों को मुनगा के पौधे दिए गए थे। खेतों में लगाए गए पौधे कुछ दिनों बाद ही सूख गए थे। जब शिकायत की गई थी तो जमा राशि वापस का आश्वासन दिया गया था।

पांच साल बाद भी नहीं मिली राशि

किसान गणेश मालवीय का कहना है कि मुनगा के लिए किसानों ने जो राशि जमा की थी उसे वापस लेने के लिए किसान दर-दर की ठोंकरे खा रहे हैं। उस समय प्रभार मंत्री, सांसद, विधायक, कलेक्टर, एसपी, कृषि विभाग, थाना मुलताई, थाना आमला में शिकायत दर्ज कराई गई थी लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। उक्त प्रकरण में तत्कालीन कलेक्टर ने कृषि विभाग एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से जांच करवाई थी जिसमें पीडि़त किसानों के बयान भी लिए गए थे। इन किसानों ने सूचना के अधिकार में जांच प्रतिवेदन मांगा लेकिन उन्हें नहीं दिया गया।

लाभ का नहीं घाटे का धंधा | Munga Affected Farmer

किसानों को हमेशा खेती को लाभ का धंधा बनाने का जो सपना दिखाया जाता है वो कभी पूरा नहीं होता है। विभाग के अधिकारी कंपनियों से मिलकर ऐसे पौधे या बीज उपलब्ध कराते हैं जिससे किसानों को उत्पादन नहीं हो पाता है और उनके रुपए और मेहनत पानी में चली जाती है और उनके लिए यह घाटे का धंधा हो जाता है। यही कारण है कि तत्कालीन उपसंचालक डॉ. आशा उपवंशी विवादों में रही और किसानों ने उनका जमकर विरोध किया था। इसके साथ ही किसानों की समस्या को सांध्य दैनिक खबरवाणी ने भी प्रमुखता से सिलसिलेवार प्रकाशित किया था। यही कारण था कि उनका बैतूल से तबादला भी किया गया और विभागीय जांच भी शुरू की गई। इसी से उद्यानिकी विभाग की अन्य योजनाओं में आम और काजू के नाम पर भी किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है।

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