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MPEB Department – जल जीवन मिशन में बिना वर्क आर्डर के लगा दिया ट्रांसफार्मर

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विद्युत ठेकेदार ने नियम विरूद्ध किया कार्य

MPEB Departmentबैतूल आमला क्षेत्र में विद्युत ठेकेदारों की मनमानी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अभी बामला गांव का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि सोमलापुर ग्राम पंचायत में जल जीवन मिशन में बिना वर्क आर्डर के ठेकेदार ने ट्रांसफार्मर लगा दिया है। नियम से बिना वर्क आर्डर के विद्युत ठेकेदार कोई भी कार्य शुरू नहीं कर सकता है। मामले को अधिकारियों ने भी संज्ञान में लिया है और वे इसे नियम विरूद्ध बता रहे हैं।

यह है पूरा मामला | MPEB Department

प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन के माध्यम से हर घर में नल से स्वच्छ जल की आपूर्ति करने की है। बैतूल में जल जीवन मिशन में लापरवाही के कई मामले सामने आ रहे हैं। ताजा मामला आमला विकास खंड के सोमलापुर ग्राम पंचायत का है जहां लोग स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने जल जीवन मिशन के तहत वैभव इंटरप्राईजेस कंपनी को कार्य का ठेका दिया है। इस कंपनी को पानी की टंकी बनाने के साथ ही गांव में पाइप लाइन बिछानी है।

इसके साथ ही विद्युत कनेक्शन के लिए ट्रांसफार्मर लगवाने के साथ ही लाइन पानी की टंकी तक पहुंचाना है। टंकी का निर्माण तो हो गया है लेकिन पाइप की कमी आने के कारण पाइप लाइन बिछने का कार्य अभी अधूरा है। हालांकि समावधि इनकी समाप्त हो चुकी है। कंपनी का कहना है कि जल्द ही पाइप लाइन बिछाने और बिजली कनेक्शन का कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

बिना वर्क आर्डर के हो गया कार्य | MPEB Department

बताया जा रहा है कि जल जीवन मिशन में बिजली कनेक्शन के लिए दृष्टि इंटरप्राईजेस के विद्युत ठेकेदार को कार्य दिया गया है। कार्य के लिए स्टीमेट भी स्वीकृत हो गया है। लेकिन वर्क आर्डर होने के पहले ठेकेदार ने कार्य शुरू करते हुए ट्रांसफार्मर लगा दिया है और पोल खड़े कर दिए हैं।

मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के उत्तर संभाग के उपमहाप्रबंधक हितेश वशिष्ठ से सांध्य दैनिक खबरवाणी ने चर्चा की तो उन्होंने बताया कि सोमलापुर के लिए स्टीमेट स्वीकृत है और पैसा जमा है लेकिन उनके कार्यालय से वर्क आर्डर नहीं हुआ है। श्री वशिष्ठ ने बताया कि बिना वर्क आर्डर के कार्य नहीं होना था यह गलत है। यह कार्य पीएचई का है।

किसकी जिम्मेदारी होगी तय | MPEB Department

बिना वर्क आर्डर के कार्य करने को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। बिजली कंपनी के अधिकारी इस कार्य को पीएचई का बता रहे हैं। वहीं जल जीवन मिशन का कार्य कर रही कंपनी के विशाल सोलंकी का कहना है कि बिजली कनेक्शन का कार्य दृष्टि इंटरप्राईजेस को दिया गया है।

अब सवाल यह है कि इस मामले में पीएचई को दोषी माना जाएगा या फिर विद्युत ठेकेदार को? क्योंकि इस तरह का कार्य आपराधिक श्रेणी में आता है। जांच के बाद बिजली कंपनी कड़ी कार्यवाही भी कर सकती है। अब देखना यह है कि किसके खिलाफ कार्यवाही होती है? इसके अलावा बिजली कंपनी के आमला ग्रामीण के जेई भी सवालों के घेरे में हैं कि उनके द्वारा मानीटरिंग क्यों नहीं की गई?

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