मंदिर में महिलाओं के लिए भी सिर ढंकना जरूरी
MP News – अशोकनगर –मध्यप्रदेश के अशोक नगर के मंदिर में ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बाद यहां लागू किए गए ड्रेस कोड में हाफ पेंट, कैपरी और लोअर पहनकर जाने पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा महिलाओं को भी मंदिर में सिर ढंककर जाना अनिवार्य कर दिया गया है।
मंदिर प्रबंधन ने बकायदा इसके लिए अपील का बोर्ड भी लगाया है। अपील में लिखा बोर्ड अशोकनगर के बीचों-बीच स्थित 200 साल पुराने तार वाले बालाजी मंदिर में लगा है। मंदिर में मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। आम दिनों में भी बड़ी संख्या में भक्त आराध्य के दर्शनों के लिए यहां पहुंचते हैं। इन दिनों सर्व समाज की बैठक के बाद यहां लगाए गए एक बोर्ड की चर्चा हो रही है।मंदिर के पुजारी, विधायक समेत रहवासियों से बातचीत भी की।
हरकतें करते हुए पकड़ाया थे युवक-युवती | MP News
बताया गया कि कुछ दिनों से देखा जा रहा था कि मंदिर के आसपास असामाजिक तत्व दिख रहे थे। मंदिर के एक हिस्से में कुछ लोग एकांत पाकर समय बिताने लगे थे। लोगों का कहना है कि ऐसे में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही थी। बैठक से एक-दो दिन पहले ही लडक़े-लडक़ी यहां आपत्तिजनक हालत में पकड़ाए थे। यह बात संज्ञान में आने के बाद सर्व समाज की बैठक हुई। इसके बाद यह निर्णय लिया गया।
सभी समाजों के अध्यक्षों की बैठक में निर्णय
26 मई को श्री कृष्ण संस्थान सनातन धर्म से जुड़े सभी समाजों के अध्यक्षों की बैठक हुई थी। इस बैठक में समाज के उत्थान के लिए कई बिंदुओं पर चर्चा हुई। इसी दौरान तार वाले बालाजी मंदिर में भी मर्यादित कपड़े पहनकर आने को लेकर एक सवाल उठा। इस पर सभी ने सहमति बनाई कि वहां मर्यादित कपड़े पहनकर आने के लिए एक बोर्ड लगाया जाए। इसके बाद यह बोर्ड मंदिर के बाहर लगा दिया गया। बैठक में शामिल रहे केपी यादव सेमरा ने बताया कि उस बैठक में सभी समाज के लोग थे और सभी की सहमति से यह तय किया गया था। इसका असर भी देखा गया है। वहां पर अब लोग इस तरह के कपड़े पहनकर नहीं जा रहे हैं।
सकारात्मकता के लिए यह निर्णय | MP News
मंदिर के अलावा श्रीमद् भागवत कथा और जुलूस वाले स्थानों पर भी मर्यादित कपड़े पहनना चाहिए। पुरुषों को भी लोअर, टी-शर्ट में मंदिर में नहीं जाना चाहिए। भगवान से आशीर्वाद लेना चाहते हैं, लेकिन बदले में कोई यह नहीं चाहता कि वहां पर मर्यादित रहे। हमें आने वाली पीढिय़ों को भी मर्यादित रहने के लिए दिशा देनी होगी। मंदिर में छोटे कपड़े पहनकर जाते देखें तो सभी समाज के लोग इसका विरोध करें। इस संबंध में मंदिर के पुजारी से चर्चा हुई तो उन्होंने भी कहा कि इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। यह बात लोगों तक जाएगी तो सकारात्मकता बाहर आएगी।
.इसलिए पड़ा तार वाले बालाजी मंदिर नाम
यह मंदिर 200 साल से अधिक पुराना है। यहां भगवान बालाजी की प्रतिमा विराजित है। मंदिर के पुजारी मिश्रा बताते हैं कि मंदिर के पीछे रेलवे लाइन के नजदीक से टेलीफोन के तार निकल रहे थे। इस वजह से मंदिर की पहचान तार वाले बालाजी मंदिर से होने लगी। पहले बालाजी के चारों तरफ सिर्फ फर्शियां लगी थीं। इसके बाद मढिय़ा बनी, फिर मंदिर और अब भव्य मंदिर। यहां किसी को मंत्र, जाप या भभूत नहीं दी जाती, बल्कि श्रद्धा से हर दिन हजारों लोग बालाजी के दर्शन करने यहां पहुंचते हैं।
महाराष्ट्र, उत्तराखंड और यूपी के मंदिर में भी लगाए बोर्ड
महाराष्ट्र के शामली के हनुमान मंदिर, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के बालाजी मंदिर, प्रयागराज के मंदिर में भी ड्रेस कोड लागू कर दिया। यहां बोर्ड लगा दिया गया है। इसके अलावा उत्तराखंड में हरिद्वार के दक्ष, पौड़ी के नीलकंठ और देहरादून के टपकेश्वर महादेव मंदिर में महिलाओं के छोटे कपड़े पहनकर आने पर प्रतिबंध लगाया गया है।