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MP News – ऐसा जेल प्रहरी जिसका वेतन प्रधानमंत्री से ज्यादा

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35 हजार रुपए से 4.82 लाख कर लिया वेतन

MP Newsभोपाल अब ऐसे हालात बन गए हैं कि शासकीय, अशासकीय और अर्धशासकीय सभी संस्थानों में फर्जीवाड़ा करने के लिए लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार हो गए हैं। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के उज्जैन से सामने आया है जिसमें एक शासकीय कर्मचारी ने खुद ही अपने वेतन में वेतनवृद्धि कर इतना वेतन कर लिया कि देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के वेतन की राशि भी कम हो गई।

उज्जैन शहर में एक जेल प्रहरी जो अनुकंपा पर नौकरी में लगा था वो इतना शक्तिशाली हो गया कि खुद अपना वेतन निर्धारित करने लगा। जहां उसका वेतन मात्र 35 हजार होना था वो अब लगभग 5 लाख वेतन प्राप्त करने लगा। यहां तक की अपना प्रमोशन भी यह जेल प्रहरी खुद तय करता था। और धीरे-धीरे इसने अपना वेतन इतना बढ़ा लिया कि देश के प्रधानमंत्री और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का वेतन भी उसके वेतन के सामने कम हो गया।

आईपीएल की लगी लत | MP News

जरूरत से ज्यादा वेतन मिलने पर जेल प्रहरी को बुरी लते भी लग गई थी। जब इस जेल प्रहरी से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि जो वेतन मिल रहा था उसे उसने आईपीएल सट्टा में गंवा दिया है। गलत तरीके से अर्जित की राशि गलत तरीके से ही चली गई।

पोस्ट जेल प्रहरी, काम जेल अधीक्षक का

उज्जैन के भैरवगढ़ जेल के पीएफ घोटाले के मामले में सबसे छोटा प्यादा था जेल प्रहरी रिपुदमन। कहने को तो उसकी पोस्ट जेल प्रहरी की थी, लेकिन काम वो जेल अधीक्षक के नाम पर करता था। जेल अधीक्षक के डिजिटल दस्तखत का भी वो अपने हिसाब से इस्तेमाल करता था। जेल के किसी भी कर्मचारी के नाम से पीएफ विड्रॉल की एप्लीकेशन बनाकर देना और फिर उसकी मंजूरी लेकर रिइंबर्समेंट तक का सारा काम वो खुद करता था।

पद जेल प्रहरी सैलरी 4.82 लाख | MP News

ये पढक़र आप समझ ही गए होंगे कि आखिर ये रिपुदमन चाहता क्या था? महज 12वीं क्लास तक पढ़ा ये जेल प्रहरी खुद को असिस्टेंट सुप्रीटेंडेंट मानने लगा था। काम भी वो सुप्रीटेंडेंट के ही करता था। वजह ये थी कि उसकी आका जेल सुप्रीटेंडेंट उषा राज ने उसे अपने डिजिटल सिग्नेचर दे रखे थे। जेल के हर काम का अप्रुवल रिपुदमन उसी सिग्नेचर से करता था। इससे पहले वाले जेल अधीक्षकों का भी वो बेहद खास था। उन्हें महंगे उपहार देता था और उनकी जरूरतों का पूरा ख्याल रखता था। जेल के कर्मचारी रिपुदमन को सैल्यूट करते थे। जेल की किस बैरक में किसको क्या सेवाएं देना हैं, ये भी रिपुदमन तय करने लगा था। इसके लिए महंगे ठेके होते थे, इनके रेट भी वही तय करता था। ऊपर वालों को उनका हिस्सा तय वक्त पर मिल जाता था।

Source – Internet

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