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MP Election – जिले में विस-लोस चुनाव के आते हैं मिश्रित परिणाम

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लोकल और केंद्रीय मुद्दों पर तय होती है जीत-हार

MP Electionबैतूल 1996 से 2019 के 1 उपचुनाव सहित 8 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को निरंतर हार मिली है। लेकिन इस दौर में विधानसभा चुनाव के परिणामों की स्थिति विभिन्न रही है। जिले के मतदाताओं के यदि मूड को जानने का प्रयास करें तो बात चाहे विधानसभा चुनाव की हो या फिर लोकसभा चुनाव की ही क्यों ना हो? हर चुनाव में मतदाताओं द्वारा लोकल और केंद्रीय मुद्दों के आधार पर प्रत्याशी को वोट देते हैं।

जिले में हुए विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी को मिली हार-जीत पर गौर करें तो देखने में आता है कि जो मतदाता विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों को विजयश्री दिलाते हैं वहीं मतदाता लोकसभा चुनाव में पिछले 27 वर्षों से कांग्रेस को नकारते हुए भाजपा प्रत्याशी को विजय दिलाते आ रहे हैं। लेकिन 2018 में ऐसा भी समय आया जब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 4 प्रत्याशी बड़े अंतर चुनाव जीते लेकिन 6 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने इन चारों विधानसभा सीटों से भाजपा उम्मीदवार को रिकार्ड मतों से जिताया।

1998 में रही यह स्थिति | MP Election

1998 में भाजपा के प्रत्याशी के रूप में विजय कुमार खण्डेलवाल ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री और दिग्गज नेता रहे अशोक साबले को हराया था। लेकिन 1998 में ही हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को घोड़ाडोंगरी, मुलताई और बैतूल में हार का सामना करना पड़ा था। वहीं आमला और भैंसदेही में भाजपा का उम्मीदवार चुनाव जीता था।

2003-04 में मिला था मिश्रित परिणाम

2003 के विधानसभा चुनाव में जिले की बैतूल, भैंसदेही और घोड़ाडोंगरी से भाजपा को जीत हासिल हुई। लेकिन मासोद और आमला में कांग्रेस तथा मुलताई से निर्दलीय उम्मीदवार जीता। लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के फिर विजय कुमार खण्डेलवाल कांग्रेस के स्थानीय नेता राजेंद्र जायसवाल को बड़े अंतर से हराकर सांसद बने।

2008 में हुआ था उपचुनाव | MP Election

लोकसभा के उपचुनाव में भाजपा के हेमंत खण्डेलवाल ने कांग्रेस के सुखदेव पांसे को पराजित किया था। वहीं 2008 के विधानसभा चुनाव में बैतूल , आमला और घोड़ाडोंगरी से भाजपा तथा मुलताई और भैंसदेही से कांग्रेस उम्मीदवार को जीत मिली थी।

2013-14 में भाजपा का क्लीन स्वीप

2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जिले की पांचों विधानसभा सीट पर जीत हासिल करी थी। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की ज्योति धुर्वे ने कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय शाह को करारी पटकनी दी थी। उन्होंने उस समय जिले के संसदीय इतिहास में 3 लाख 28 हजार 614 मतों की रिकार्ड जीत हासिल की थी। इस तरह से विधानसभा और लोकसभा में एक साथ कांग्रेस का सफाया हो गया था।

2018-19 में विस चुनाव में कांग्रेस को मिला महत्व | MP Election

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बैतूल, मुलताई, घोड़ाडोंगरी और भैंसदेही में बड़े अंतर से भाजपा प्रत्याशियों पर जीत हासिल की थी। वहीं आमला सीट भाजपा के खाते मेंं आई। लेकिन 6 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के दुर्गादास उइके ने फिर संसदीय इतिहास की जीत का रिकार्ड तोड़ते हुए 3 लाख 60 हजार 241 वोटों से कांग्रेस के रामू टेकाम को करारी शिकस्त दी थी।

लोस चुनाव में पलटे विस चुनाव के परिणाम

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जीते हुए चार विधायकों ने भाजपा के चार उम्मीदवारों से लगभग 87 हजार वोट ज्यादा प्राप्त किए थे। लेकिन 5 महीने बाद ही लोकसभा चुनाव में भाजपा के दुर्गादास उइके ने कांग्रेस से पांच विधानसभा सीट पर 2 लाख 17 हजार 707 वोट अधिक लिए।

विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस के सुखदेव पांसे को 77613 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा में डीडी उइके को 1 लाख 6611 वोट मिले थे। इसी तरह बैतूल के विधानसभा चुनाव में निलय डागा को 96423 वोट मिले थे तो भाजपा के डीडी उइके को 1 लाख 20 हजार 96 वोट मिले।

भैंसदेही विस के चुनाव में कांग्रेस के धरमूसिंह को 99519 वोट मिले थे। तो डीडी उइके को 1 लाख 452 वोट मिले। घोड़ाडोंगरी से विस चुनाव में कांग्रेस के ब्रम्हा भलावी को 90 हजार 423 वोट मिले तो लोकसभा में डीडी उइके ने 1 लाख 2141 वोट प्राप्त किए।

इस तरह से 5 महीने में ही मतदाताओं ने चुनाव परिणाम पलटकर रख दिया। यह दर्शाता है कि बैतूल का मतदाता लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर वोट देता है।

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