छतरपुर: देश और दुनिया में सनातन संस्कृति का परचम लहराने वाले बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री युगांडा की अपनी पांच दिवसीय विदेश यात्रा पूरी कर भारत लौट आए हैं. खजुराहो एयरपोर्ट पर उनके स्वागत के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, जहां बाबा बागेश्वर ने सभी को आशीर्वाद दिया.
युगांडा में धीरेंद्र शास्त्री की हनुमंत कथा
बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की यह विदेश यात्रा 14 अगस्त से शुरू हुई थी. वे भारत से युगांडा के लिए रवाना हुए और वहां 15, 16 व 17 अगस्त को राजधानी कंपाला में तीन दिवसीय हनुमंत कथा व प्रवचन का आयोजन किया. इस दौरान युगांडा में रहने वाले सनातनी समुदाय ने उनका जोरदार स्वागत किया.
शिक्षा वह शेरनी का दूध, जिसने पिया वह दहाड़ा जरूर
युगांडा की प्रधानमंत्री ने बाबा बागेश्वर के सेवा कार्यों की सराहना की और उनसे युगांडा में बागेश्वर सनातन मठ स्थापित करने का आग्रह भी किया. साथ ही, उन्होंने बाबा द्वारा चलाए जा रहे "नर सेवा, नारायण सेवा" संकल्प की प्रशंसा की और उनका सम्मान भी किया. भारत लौटते ही बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने एक प्रेरणादायक संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया.
उन्होंने कहा, "शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जिसने भी पिया वह दहाड़ा जरूर है. रोटी दो खा लो, फटे कपड़े पहन लो, बिना छत के रह लो, लेकिन अपने बच्चों को पढ़ाना मत भूलो, शिक्षा जरूर देना. संपत्ति छोड़कर जाओ ना जाओ, लेकिन बच्चों को अच्छे संस्कार देकर जाना."
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने यह भी कहा कि, ''बदलते समय में बच्चों को केवल पढ़ाई ही नहीं बल्कि चरित्र और संस्कार देना भी माता-पिता का कर्तव्य है. उन्होंने समाज से अपील की कि वे शिक्षा को प्राथमिकता दें और अपने बच्चों को अच्छे नागरिक बनाने में योगदान करें.''
भारतीय संस्कृति का प्रभाव विश्वभर में बढ़ रहा
बागेश्वर धाम अब केवल आस्था का केंद्र नहीं रहा, बल्कि सनातन संस्कृति और गतिविधियों के प्रचार-प्रसार का एक सशक्त माध्यम बन चुका है. दुनिया भर के सनातनी समुदाय की आशाएं इस धाम से जुड़ी हैं. बाबा धीरेंद्र शास्त्री की विदेश यात्राओं से यह संदेश स्पष्ट हो रहा है कि भारतीय संस्कृति का प्रभाव विश्वभर में बढ़ रहा है और सनातन धर्म के प्रति लोगों की आस्था मजबूत हो रही है.
25 अगस्त से मुंबई के सनातन मठ में रहेंगे धीरेंद्र शास्त्री
बाबा बागेश्वर 24 अगस्त तक बागेश्वर धाम में रहेंगे. इसके बाद वे 25 से 28 अगस्त तक मुंबई स्थित सनातन मठ में रहेंगे. अपने संदेश के अंत में बाबा ने शायरी भरे अंदाज में कहा-"ना नाज है जिंदगी, ना नाराज है जिंदगी, बस जो कुछ है आज है जिंदगी.'' उनके इस संदेश ने न केवल श्रद्धालुओं को शिक्षा के प्रति जागरूक किया बल्कि यह भी साबित किया कि संत समाज केवल आध्यात्मिक ही नहीं, सामाजिक बदलाव के लिए भी प्रेरक शक्ति बन सकता है.