Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

मेघना को थी हल्की खांसी, रिपोर्ट में निकला लंग कैंसर का तीसरा स्टेज

By
On:

दिल्ली निवासी मेघना शर्मा गुरूग्राम में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हैं। 2020 में उन्हें कई दिनों से मामूली खांसी हो रही थी। उन्होंने इसपर इतना ध्यान नहीं दिया। थोड़ी दूर पैदल चलने पर उनके लिए सांस लेना भी मुश्किल होने लगा। उन्होंने फिजिशियन को दिखाया।

डॉ अरुण कुमार गोयल, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक, एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल, सोनीपत ने बताया कि डायग्नोसिस में पता चला उन्हें स्टेज-3 लंग कैंसर है। उनके रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी के सेशन शुरू हुए। इसके बाद एक साल तक उन्हें तीन सप्ताह में एक बार इम्युनोथेरेपी दी गई। मेघना को टारगेटेड थेरेपी भी दी गई, जिसमें एक दिन में उन्हें आठ गोलियां खानी होती थीं। उपचार के बाद उन्हें एनईडी (नो इवीडेंस ऑफ डिसीज़) घोषित कर दिया गया और आज 3 साल बाद भी वो एनईडी ही हैं।
 
क्यों होता है लंग कैंसर

लंग कैंसर अनकंट्रोल्ड ग्रोथ सेल्स होती है। ये कैंसरग्रस्त सेल्स लगातार बढ़ती रहती हैं और आसपास के टिशूज (उतकों) को भी नष्ट कर देती हैं। जबये एब्नार्मल ग्रोथ लंग्स की कोशिकाओं में शुरू होती है तो इसे प्राइमरी लंग कैंसर कहा जाता है और जब कैंसरग्रस्त सेल्स अन्य अंगों से निकलकर फेफड़ों में जमा होनेलगती हैं तो इसे मेटास्टेटिस (सेकंडरी) लंग कैंसर कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लंग कैंसर विश्वभर में कैंसर से होने वाली मौतों का सबसे प्रमुख कारण है। इसके कारण 2022 में लगभग 18 लाख लोगों की मौत हुईथी। 2022 में इसके लगभग 25 लाख मामले सामने आए थे, जो कुल कैंसर के नए मामलों के 12 प्रतिशत थे।

क्यों बढ़ रहे हैं मामले

विश्वभर में लंग कैंसर के ऐसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिन्होंने अपनी लाइफ में कभी सिगरेट को हाथ भी नहीं लगाया है। वह बीमारी जिसे कभी “मैंसडिसीज़” या “स्मोकर्स डिसीज़” कहा जाता था, तेजी से युवाओं, महिलाओं और धुम्रपान न करने वालों को अपना शिकार बना रही है। लंग कैंसर फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा हाल में किए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लंग कैंसर के शिकार 21 प्रतिशत लोग 50 से कम उम्र के हैं, इनमें से कुछ की उम्र तो 30 वर्ष से भी कम है। बढ़ते एयर पाल्यूशन को इसका सबसे प्रमुख कारण माना जा रहा है।

रिस्क फैक्टर्स

-धुम्रपान करना।

– पेसिव स्मोकिंग (धुम्रपान से निकलने वाले धुएं के संपर्क में रहना)

– प्रदूषित वायु या विषैले तत्वों के संपर्क में रहना।

-लकड़ी, कोयले या कंडों पर खाना बनाना।

-परिवार में पहले किसी सदस्य को लंग कैंसर होना।

क्या हैं शुरूआती लक्षण

-लगातार खांसी रहना और खांसी के साथ खून आना।

-आवाज में खराश बनी रहना।

– थोड़ा चलने पर भी सांस फूलना।

-हमेशा थकान महसूस होना।

– तेजी से वजन कम होना।

बचाव के उपाय क्या हैं 

-धुम्रपान और तंबाकू का सेवन पूरी तरह बंद कर दें।

-अपने डाइट चार्ट में मौसमी फलों और सब्जियों को शामिल करें।

-नियमित रूप से ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें।

-घर में एयर प्युरीफायर लगवाएं।

– घर के बाहर प्रदूषित हवा से बचने के लिए स्कार्फ या मास्क का इस्तेमाल करें।

पैसिव स्मोकिंग से क्यों है खतरा

स्मोकिंग या धुम्रपान करने के बाद जो धुआं बाहर निकलता है, उसे जब दूसरा व्‍यक्ति सांस के जरिए अंदर लेता है, तो इसे सेकंड हैंड स्‍मोकिंग या पैसिव स्मोकिंग कहाजाता है। सांस के जरिए जब सिगरेट का धुआं आपके शरीर में जाता है, तो सबसे पहले ये आपके फेफड़ों के लिए समस्‍या खड़ी करता है। इसके कारण अस्थमा, टीबी,निमोनिया, सीओपीडी और लंग कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। बच्‍चों के लिए तो ये और ज्‍यादा खतरनाक हो जाता है.ऐसे बच्‍चों का इम्‍यून सिस्‍टम तो कमजोर होता ही है, साथ ही उनमें निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, अस्‍थमा, खांसी, सांस फूलने और लंग कैंसर जैसी श्वसन तंत्र से संबंधित गंभीर बीमारियों की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।

लंग कैंसर की स्टेजेस

लंग कैंसर की चार स्टेज होती हैं। इसे ट्यूमर के साइज के आधार पर तय किया जाता है। साथ ही यह देखा जाता है कि कैंसर आसपास के टिशूज, लिम्फनोड्स और दूसरे अंगों तक तो नहीं पहुंचा है। लिम्फ नोड्स हमारे इम्यून सिस्टम का हिस्सा हैं, जो वायरस और बैक्टीरिया से शरीर का बचाव करते हैं।

For Feedback - feedback@example.com
Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News