एक एकड़ से 6 लाख रूपये कमाने की तगड़ी लाइन है यह औषधिक फसल, मार्केट में बिकती है 1200 रूपये किलो, शतावरी एक बहुमूल्य औषधीय पौधा है जिसकी खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। इसकी जड़ों का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है। आइए जानते हैं शतावरी की खेती कैसे की जाती है:
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शतावरी की खेती: मिट्टी और जलवायु
- मिट्टी: शतावरी के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
- जलवायु: यह गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह से उगता है।
शतावरी की खेती: बीज या कंद
- बीज: शतावरी की खेती बीज या कंद से की जा सकती है।
- कंद: कंद से खेती करने पर पौधे जल्दी तैयार हो जाते हैं।
शतावरी की खेती: भूमि का तैयारी
- जमीन को जोतकर समतल करें: खेती से पहले जमीन को अच्छी तरह से जोतकर समतल कर लें।
- खाद डालें: गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद डालकर मिट्टी को उपजाऊ बनाएं।

शतावरी की खेती: बुवाई का समय
- सर्वोत्तम समय: अप्रैल-मई का महीना बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
- बीजों की गहराई: बीजों को 2-3 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं।
शतावरी की खेती: सिंचाई
- शुरुआत में: शुरुआत में सप्ताह में एक बार सिंचाई करें।
- बाद में: जब पौधे बड़े हो जाएं तो महीने में एक बार हल्की सिंचाई करें।
शतावरी की खेती: खरपतवार नियंत्रण
- खरपतवारों को हटाएं: समय-समय पर खेत में उगने वाले खरपतवारों को हटाते रहें।
- नाइट्रोजन युक्त खाद: पौधों को समय-समय पर नाइट्रोजन युक्त खाद दें।
शतावरी की खेती: कटाई
- कब करें: पौधे को पूरी तरह विकसित होने और कंद के इस्तेमाल लायक होने में कुल 3 वर्ष का समय लगता है।
- कैसे करें: कंदों को सावधानी से खोदें और धूप में सुखाएं।
शतावरी की खेती: रोग और कीड़े
- रोग: शतावरी में फफूंद और जीवाणु के संक्रमण का खतरा रहता है।
- कीड़े: पत्ती खाने वाले कीड़े भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- नियंत्रण: उचित देखभाल और कीटनाशकों के उपयोग से रोग और कीड़ों को नियंत्रित किया जा सकता है।
ध्यान दें: शतावरी की खेती के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृषि विभाग से संपर्क करें।
शतावरी की खेती: अतिरिक्त जानकारी
- शतावरी की खेती से किसानों को 4 लाख रुपये तक का लाभ हो सकता है।
- शतावरी की जड़ों का उपयोग कई प्रकार की बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
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