जाने इसके पीछे की क्या है वजह
Mango Farming – आम के पेड़ों में एक साल अधिक फल लगना और अगले साल कम फल लगना एक आम बात है। इसे “द्विवार्षिक फलन” (alternate bearing) कहा जाता है। इस घटना के कई कारण हो सकते हैं:
1. पोषक तत्वों की कमी: यदि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी है, तो पेड़ फलने के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं बना पाएगा।
2. पानी की कमी: यदि पेड़ को पर्याप्त पानी नहीं मिलता है, तो यह फलने के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं बना पाएगा।
3. रोग और कीट: रोग और कीट पेड़ को कमजोर कर सकते हैं और फलने की क्षमता को कम कर सकते हैं।
4. तापमान: यदि तापमान बहुत अधिक या बहुत कम है, तो यह पेड़ के फलने को प्रभावित कर सकता है।
5. अनुवांशिकी: कुछ किस्मों में द्विवार्षिक फलन अधिक होता है।
द्विवार्षिक फलन को कम करने के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं:
मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को दूर करें: मिट्टी की जांच करवाएं और आवश्यकतानुसार उर्वरक डालें।
पेड़ को नियमित रूप से पानी दें: विशेष रूप से फलने के मौसम में।
रोग और कीटों से बचाव करें: पेड़ों का नियमित रूप से निरीक्षण करें और आवश्यकतानुसार उपचार करें।
उचित तापमान बनाए रखें: यदि संभव हो तो, पेड़ों को छाया में रखें या उन्हें ठंड से बचाएं।
ऐसी किस्में चुनें जिनमें द्विवार्षिक फलन कम होता है: कुछ किस्में द्विवार्षिक फलन के लिए कम प्रवण होती हैं।
निष्कर्ष
द्विवार्षिक फलन आम के पेड़ों में एक आम बात है। इसे कम करने के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है।
आम की प्रमुख किस्में
आन्ध्र प्रदेश- बंगलौरा, बंगनपल्ली, स्वर्णरेखा, मलगोवा, बानेशान, हिमायुद्दीन.
उत्तर प्रदेश– दशहरी, लंगड़ा, चौसा, बाम्बे ग्रीन, गौरजीत, रतौल, जाफरानी, लखनऊ सफेदा, आम्रपाली.
उत्तखराण्ड– दशहरी, लंगड़ा, चौसा, आम्रपाली, फजली.
तमिलनाडु– बंगलोरा, बांगनपल्ली, रूमानी, नीलम.
कर्नाटक– अलफान्सो, मल्लिका, नीलम, बंगलोरा, बांगनपल्ली, पथरी.
बिहार– बम्बईया, गुलाब खास, मिठुआ, मालदा, किशन भोग, लंगडा, दशहरी, फजली, हिमसागर, चौसा, आम्रपाली
गुजरात– अलफान्सो, केसर, राजापुरी, जमादार.
महाराष्ट्र– अलफान्सो, केसर, पियरी, मनकुर्द, मलगोवा.
पश्चिम बंगाल– हिमसागर, मालदा, फजली, किशनभोग, लखनभोग, रानी पसंद, बम्बई, आम्रपाली.
उड़ीसा– आम्रपाली, दशहरी, लंगडा, स्वर्णरेखा, नीलम.
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