सुख-समृद्धि और धन की देवी महालक्ष्मी का प्राप्त होता है आशीर्वाद
Mahamuhurta: गुरु पुष्य नक्षत्र एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है, खासकर खरीदारी और निवेश के लिए। इस वर्ष, 24 अक्टूबर को कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर गुरु पुष्य नक्षत्र का महामुहूर्त रहेगा। इस दिन को विशेष रूप से खरीदारी के लिए अत्यधिक शुभ माना गया है क्योंकि इसे सुख-समृद्धि और धन की देवी महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पुष्य नक्षत्र की विशेषताएं:
पुष्य नक्षत्र को 27 नक्षत्रों में सबसे महत्वपूर्ण और फलदायी माना जाता है, और इसे “नक्षत्रों का राजा” कहा जाता है।ज्योतिषीय गणना के अनुसार, पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि है और इसका उपस्वामी बृहस्पति है। शनि को पुरुषार्थ और स्थिरता का कारक माना जाता है, जबकि बृहस्पति ज्ञान, आध्यात्म और शिक्षा के प्रतीक हैं।इस वर्ष, शनि कुंभ राशि और बृहस्पति वृषभ राशि में गोचर कर रहे हैं, जिससे इस दिन के योग को और भी विशेष बनाते हैं।
खरीदारी का महत्व:
गुरु पुष्य नक्षत्र में विभिन्न प्रकार की संपत्तियों और वस्तुओं की खरीदारी को अत्यधिक शुभ माना गया है। इस दिन सोने-चांदी के आभूषण, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक सामान, भूमि, भवन और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में निवेश करना अत्यधिक लाभकारी हो सकता है। स्थायी संपत्तियों की खरीदारी विशेष रूप से शुभ मानी जाती है, क्योंकि यह भविष्य में स्थायी समृद्धि और आर्थिक स्थिरता प्रदान करती है।
लक्ष्मी-नारायण पूजा का महत्व:
गुरु पुष्य नक्षत्र में लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। इस दिन माता लक्ष्मी को खीर और दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है, जबकि भगवान विष्णु को तुलसी, पंचामृत और गुड़ का भोग लगाया जाता है। साथ ही, कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना विशेष रूप से शुभ माना गया है।
समय और मुहूर्त:
उज्जैन पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पुष्य नक्षत्र का योग 24 अक्टूबर को सुबह 11:38 बजे से शुरू होकर 25 अक्टूबर दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा। यह समय निवेश और नई शुरुआत के लिए सर्वोत्तम रहेगा।
इतिहास में विशेष योग:
ऐसा शुभ संयोग पहले भी कई बार देखने को मिला है, जैसे कि 1960, 1963, 1970, 1980, 1997 और 2021 में, जब दीपावली से पहले गुरु पुष्य नक्षत्र का यह शुभ योग बना था।
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